यह साल 2018 की बात है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। आलाकमान ने अशोक गहलोत को सूबे का सीएम बनाया। इस बात से सचिन पायलट खासा नाराज हो गए। पायलट की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया। और यहीं से शुरू हुआ बयानबाजी का दौर अब तक जारी है। पायलट और गहलोत के बीच का मनमुटाव सबसे पहले तब जगजाहिर हुआ जब पायलट ने अपनी कुर्सी राज्यपाल के बगल में लगाने को कही। दरअसल, सरकार बनाने के बाद शपथ ग्रहण समारोह में पायलट चाहते थे कि उनकी कुर्सी राज्यपाल के बगल में लगाई जाए। सीएम की शपथ लेने जा रहे गहलोत ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई थी। गहलोत ने कहा था कि डिप्टी सीएम का पद कोई संवैधानिक पद नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि पायलट की बात गहलोत को माननी पड़ी और उनकी कुर्सी राज्यपाल के बगल में लगाई गई।
गद्दार
साल 2022 में सीएम गहलोत ने एक ऐसा बयान दिया जिसपर कांग्रेस पार्टी भी हैरान हो गई। गहलोत ने पायलट को गद्दार करार दिया। एक टीवी इंटरव्यू में गहलोत ने कहा, ‘एक गद्दार सीएम नहीं बन सकता… आलाकमान पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बना सकती। एक आदमी जिसके पास 10 विधायक भी नहीं हैं उसने बगावत की। उन्होंने पार्टी को धोखा दिया, वह गद्दार है।’ गहलोत के इस बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि ‘ कुछ शब्दों की उम्मीद नहीं थी।’
बड़ा कोरोना
साल 2023 का जनवरी महीना। किसान सम्मेलन को लेकर सचिन पायलट ने सूबे के 5 जिलों का दौरा किया। इस दौरान पायलट ने पेपर लीक केस को लेकर सीएम गहलोत पर निशाना साधा। पायलट के कटाक्ष पर गहलोत ने पलटवार करते हुए उन्हें ”बड़ा कोरोना कह डाला था। गहलोत एक प्रोग्राम में कुछ लोगों से बातचीत कर रहे थे। वहां मौजूद एक कर्मचारी नेता ने गहलोत से कहा कि आप आग्रह करने के बाद भी हमसे नहीं मिलते हो। इसपर गहलोत ने कहा, ‘अब मैं मिलने लगा हूं। पहले चुनाव में कोरोना आ गया था। एक बड़ा कोरोना तो हमारी पार्टी के अंदर भी आ गया है।’