राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने जयपुर ब्लास्ट केस में चारों आरोपियों के बरी होने पर सीएम गहलोत पर निशाना साधा है। वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर कहा- मई, 2008 में गुलाबी नगर को रक्त रंजित कर 80 लोगों की जान लेने और कई लोगों को अपाहिज बनाने वाले जयपुर बम ब्लास्ट मामले में कांग्रेस सरकार ने ढंग से पैरवी नहीं की। जिसका परिणाम हाईकोर्ट के इस फैसले के रूप में सामने आया है। घटना के बाद आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। इसके बावजूद सरकार ने इसे हल्के में लिया, वरना निचली अदालत का फैसला बरकरार रहता। इस केस में तो सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ताओं ने कई दिनों तक पैरवी ही नहीं की। कहीं कांग्रेस सरकार के इशारे पर तो ऐसा नहीं हुआ ?
वसुंधरा राजे ने कहा- आज उन परिवारों पर क्या बीती होगी जिनके अपने उन धमाकों में जान गंवा बैठे। किसी का सुहाग उजड़ा तो किसी का भाई जुदा हुआ। किसी का पिता, किसी की मां व बच्चे इस हादसे में चल बसे। क्या उनकी चीखें इस सरकार के कानों तक नही पहुंच रही। कहीं सरकार ने तुष्टिकरण के चलते तो ऐसा नहीं किया ? इस प्रकरण में राज्य की कांग्रेस सरकार दोषी है। सरकार की मंशा के अनुरूप जयपुर में हुए बम धमाकों के आरोपी भले ही अभी बरी हो गए हों, लेकिन जनता समय आने पर कांग्रेस की कुंठित मानसिकता का जवाब जरूर देगी।
बता दें, जयपुर में 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट केस में बुधवार को हाईकोर्ट ने सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया था। जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की बेंच ने कहा कि जांच अधिकारी को कानून की जानकारी नहीं है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि घटना को लेकर जनभावना जुड़ी है, लेकिन कोर्ट कानून और सबूतों के आधार पर फैसला देता है।बता दें कि 13 मई 2008 को जयपुर में सीरियल ब्लास्ट हुए थे। इसमें 71 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 185 घायल हुए थे। 2019 में जिला कोर्ट ने मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान, सरवर आजमी और मोहम्मद सलमान को हत्या, राजद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के तहत फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। सीएम गहलोत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव की सेवाएं समाप्त कर दी है। जबकि सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करेगी।