राजस्थान में SC-ST महापंचायत में मंत्रियों के बोलने को लेकर विवाद हो गया। विवाद की शुरुआत आपदा राहत मंत्री गोविंद मेघवाल के भाषण से हुई। मेघवाल ने जैसे ही भाषण शुरू किया तो आयोजकों ने उन्हें दो मिनट में भाषण खत्म करने को कहा। बीच में टोकने पर मंत्री मेघवाल नाराज हो गए और कहा कि आप भाषण खत्म हो समझिए, जब बात ही पूरी नहीं रख सकते तो फिर मतलब ही क्या है। मेघवाल नाराज होकर मंच से नीचे उतरे और कार्यक्रम छोड़कर चले गए। इस दौरान नारेबाजी हो गई। मेघवाल के महापंचायत छोड़ने के बाद मंत्री ममता भूपेश, भजन लाल जाटव, टीकाराम जूली भी कार्यक्रम से चले गए। मंत्रियों के मंच छोड़ते ही वहां कार्यकर्ता भिड़ गए। एससी एसटी समुदाय की 22 पेंडिंग मांगों को लेकर जयपुर के मानसरोवर ग्राउंड में रविवार को महापंचायत हुई।
विधानसभा चुनावों से पहले एससी-एसटी ने पेंडिंग मांगों को लेकर केंद्र-राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महापंचायत में एससी-एसटी समुदाय के मंत्री और विधायक भी बड़ी संख्या में जुटे हैं।महापंचायत में दलित आदिवासी समुदाय के नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर लंबित पड़ी मांगों का समाधान नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की है। नेताओं ने कहा कि दलित और आदिवासियों के वोट सबको चाहिए, लेकिन वे जब मांग करें, अपने अधिकार मांगें तो जातिवाद का ठप्पा लगाकर डायवर्ट करने का प्रयास किया जाता है।
दोनों वर्गों की सबसे ज्यादा आबादी है, इसके बावजूद मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाना सरकारों की मानसिकता को दर्शाता है। सरकारें दोनों समुदायों को केवल वोट बैंक समझना बंद करें, हक की बात आए तो वह भी उसी तरह से दें। महापंचायत के सचिव जीएल वर्मा ने कहा- राजस्थान सरकार के स्तर पर 22 और केन्द्र सरकार के पास 14 डिमांड पेंडिंग हैं इनका जल्द समाधान किया जाए। 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान प्रदेश में एससी-एसटी के लोगों पर 322 एफआईआर हुई थी। सरकार ने वादा किया था कि ये मुकदमे वापस लिए जाएंगे, लेकिन अभी तक नहीं लिए गए। कई स्टूडेंट्स पर भी केस दर्ज किए गए थे।