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बाड़मेर में हुई शाही शादी की चर्चा , जहाँ विदेशों से पहुंचे मेहमान

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–    स्कॉटलैंड की तर्ज पर गाँव को सजाया और हजारों को दिया शादी का न्यौता

–    25 साल की मेहनत से पाया यह मुकाम 

25 साल पहले एनआरआई नवल किशोर गोदारा मजदूरी करते हुए गुजरात से साउथ अफ्रीका काम करने गए थे और अपना खुद का काम शुरू कर दिया. कुछ साल में ही नवल किशोर गोदारा ने नवल माइनिंग, कॉस्मेटिक और कई अन्य बिजनेस करने शुरू कर दिए और करोड़पति बन गए. बीते कुछ दिनों से यह उद्यमी काफी चर्चाओं में हैं. अपनी बेटी के जन्म के बाद अपनी किस्मत चमकने की बात कहने वाले उद्यमी ने अपने गाँव में ही बेटी की शादी ऐसे शाही अंदाज से की कि सुनने वाले और देखने वाले सभी अचम्भे में पड़ गये. करोड़ो रूपये खर्च करने के बाद NRI उधमी में रेगिस्तान में वर्ल्ड क्लास सिटी बना दी.

 बाड़मेर में एनआरआई नवल किशोर गोदारा की बेटी ऋतु की शादी खासी चर्चा में है. ऋतु की शादी पाली के पूर्व सांसद बद्री जाखड़ के पोते रामप्रकाश के साथ हो रही है. शुक्रवार को शादी में बारात का शाही अंदाज में स्वागत किया गया.

धोरों में एनआरआई अपनी बेटी की शादी शाही अंदाज की. 5.5 लाख वर्ग फीट में स्कॉटलैंड के किले की तर्ज पर पंडाल तैयार करवाया गया तो डेढ़ माह से ज्यादा करीब 200 कारीगर लगातार इस पंडाल तैयार करने में लगे रहे  । पंडाल तैयार करने वाले महेंद्र सिंघवी का दावा है कि राजस्थान में पहली बार इस तरह की डिजाइन तैयार की गई। 26 व 27 तारीख को सभी कार्यक्रम के अलग-अलग पंडाल बनाए गए और बारातियों व मेहमानों के लिए 200 टैंट लगाए गए हैं।

बाड़मेर जिले के शिव उपखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत बूढातला गांव निवासी एनआरआई नवल किशोर गोदारा की बेटी रीतू की शादी 27 जनवरी को अपने गांव बुढ़ातला में हुई. बारात पाली के पूर्व सांसद ब्रदीराम जाखड़ के परिवार से आई। शादी को लेकर गांव का नक्शा ही बदल दिया गया । आलीशान सड़कें बना दी गई । शादी के कुल 5.30 लाख वर्ग फीट में पंडाल तैयार किया जा गया। शादी के मुख्य कार्यक्रम के लिए पंडाल को स्कॉटलैंड के किले की तरह बनाया गया है। मेहमानों व बारातियों को रहने के लिए 200 अलग-अगल टैंट बनाए गए है। संगीत, शादी और सभा का अलग-अलग पंडाल बना है। बारातियों के खाने की व्यवस्था बिल्कुल अलग से की गई है।

जानिये कौन हैं यह उद्यमी ?

नवलकिशोर गोदारा की कहानी मिसाल हैं. बाड़मेर जिले के छोटे से गांव भिंयाड़ के निवासी और फ़िलहाल दक्षिणी अफ्रीका में अपने व्यवसाय का परचम लहराने वाले नवल गोदारा की बात कुछ अलग है। फ़र्श से अर्श तक पहुंचे इस इन्सान की जीवन-यात्रा प्रेरणादायक है। निर्धनता की कड़ी परीक्षा , गरीबी से संघर्ष के कारण नवल गोदारा को आठवीं कक्षा में ही स्कूल छोड़कर काम की तलाश करनी पड़ी। सन 1987 में राजकोट और गांधीधाम ( गुजरात ) में नमक की फैक्टरी में 50 किलो के थैलों को नमक से भरना और उन्हें ट्रकों में लादना यही काम नवल किशोर गोदारा की शुरुआत थी। मजदूरी करते करते जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही अफ्रीकी देश कांगों पहुंचने का जुगाड़ कर लिया। शुरुआत एक व्यवसायी की कॉस्मेटिक्स की दुकान पर काम किया। दस साल बाद वहीं पर ख़ुद का कारोबार स्थापित कर दिखा दिया कि मन में हो संकल्प तो कोई काम मुश्किल नहीं होता । मेहनत दम पर नवलकिशोर गोदारा ने अफ्रीका, यूरोप एवं एशिया महाद्वीपों के देशों में कॉस्मेटिक्स, माइनिंग, कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सर्विस सेक्टर में अपना सफ़ल व्यवसाय स्थापित कर रखा है।  

बाड़मेर से नहीं तोडा नाता , दानवीर भी कहलाये



नवल गोदारा ने सन 2010 में सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना की, जिसमें दो हज़ार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। हालात से त्रस्त होकर ख़ुद उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रहने के दंश को नवलकिशोर गोदारा ने झेला, इसलिए जहाँ कहीं शिक्षा के प्रचार- प्रसार हेतु धनराशि की जरुरत होती है, वहाँ वे सहर्ष दान देते हैं। भिंयाड़,कानासर व उन्दू गांवों की सरकारी स्कूलों में आधारभूत संरचना विकास हेतु नवल जी ने 16 लाख 50 हज़ार रुपये की धनराशि प्रदान की है। इसके अतिरिक्त भिंयाड़ के राजकीय हॉस्पिटल में भी चार लाख रुपए की राशि से रोगियों के बेहतर इलाज़ से संबंधित आवश्यक संसाधन सुलभ करवाए हैं।

बालिका शिक्षा में योगदान- बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बाड़मेर जिला मुख्यालय पर ग्रामीण बालिकाओं के आवास हेतु स्थित किसान बालिका छात्रावास में नवल जी ने समस्त सुविधाओं से युक्त तीसरी मंजिल का निर्माण सन 2015 में 1 करोड़ 57 लाख रुपये की लागत से करवाया है।

जनहित के राष्ट्रीय अभियानों में अग्रणी भूमिका- स्वच्छ भारत मिशन और जल स्वावलंबन अभियान को बाड़मेर में परवान पर चढ़ाने हेतु बाड़मेर के प्राचीनतम जलस्रोत कारेली नाडी की समुचित साफ़-सफ़ाई करवाने एवं जलस्रोत का जीर्णोद्धार करवाने में नवल गोदारा ने ख़ुद के स्तर पर समस्त आवश्यक संसाधन जुटाकर यह असम्भव सा प्रतीत होने वाला व्यापक जनहित का कार्य न्यूनतम समय में पूरा करवाने का रिकॉर्ड क़ायम किया है। बता दें कि इस जलस्रोत में एवं इसके जल- भराव क्षेत्र में बाड़मेर शहर का कचरा वर्षों से डाले जाने के कारण यहाँ 35 हज़ार मेट्रिक टन कचरा संग्रहित हो चुका था। इस कचरे का जैविक निस्तारण करवाने तथा जल- स्रोत का समुचित जीर्णोद्धार का जनोपयोगी कार्य करवाने के फलस्वरूप नवल गोदारा ने बेहतरीन उदहारण पेश किया हैं.  

कांडला में नमक के कट्टे कंधे पर ढ़ोकर अपने जीवन की शुरुआत करने वाले नवल किशोर गोदारा आज बाड़मेर का जाना पहचाना नाम हैं. कांगो में बड़े उद्यमी के रूप में विख्यात गोदारा आज अपनी माँ के साथ मिलकर गाँव की तकदीर तस्वीर बदलने में जुटे हैं. राजस्थान के बाड़मेर जिले की बुढ़ातला ग्राम पंचायत आपको किसी साधारण ग्राम पंचायत से बिल्कुल अलग दिखेगी। अत्याधुनिक पंचायत भवन तो सिर्फ एक शुरुआत भर है। यहां गांव वालों के मसलों को सुलझाने के लिए 3-3 कार्मिक तैनात हैं, जो खुद गांववालों के घर जाकर उनकी समस्या दूर करते हैं। मगर यह सबकुछ सरकारी खर्चे पर नहीं होता। दरअसल, 2020 में ही बनी इस पंचायत में गांव वालों ने सम्मानपूर्वक 80 वर्षीय नोजी देवी को निर्विरोध सरपंच बनाया था। ग्रामीणों के इस भरोसे का सम्मान करते हुए नोजी देवी के एनआरआई बेटों ने पंचायत का ही कायाकल्प कर दिया।

2020 में भियाड़ ग्राम पंचायत से अलग कर बुढ़ातला को नई ग्राम पंचायत बनाया गया। ग्रामीण इस बात सर्वसम्मत थे कि विदेश में काम करने वाले गांव के बेटों नवल किशोर गोदारा और टीकूसिंह गोदारा को निर्विरोध सरपंच बनाया जाए। मगर दोनों ने ही विदेश में होने की वजह से यह जिम्मेदारी उठा पाने में असमर्थता जता दी।

इस पर गांव वालों ने उनकी मां नोजी देवी को निर्विरोध सरपंच बना दिया। नोजी देवी की उम्र करीब 80 वर्ष है, वे पढ़ी-लिखी नहीं हैं। इसके बावजूद ग्रामीणों का यह विश्वास देखते हुए नवल किशोर और टीकूसिंह ने भी ठान लिया कि ग्राम पंचायत का चेहरा बदल देंगे। उन्होंने पंचायत भवन से लेकर गांव में कानून व्यवस्था तक सबकुछ बदल दिया। बुढ़ातला ग्राम पंचायत में भामाशाह नवल किशोर गोदारा ने ग्रामीणों की सुनवाई के लिए 24 घंटे में तीन कार्मिकों को ड्यूटी पर लगा रखा है। इन्हें निजी स्तर पर हर माह वेतन देते हैं। ग्रामीणों को पंचायत का एक टेलीफोन नंबर दिया गया है, जिस पर कॉल करने पर तत्काल कार्मिक उनके घर पहुंचते हैं और समस्या का समाधान करते हैं। किसी इमरजेंसी या गरीब परिवार के लिए आवश्यक काम के लिए गाड़ी भी उपलब्ध करवाई गई है। नई बनी पंचायत के लिए पंचायत भवन का निर्माण होना था। नवल किशोर ने इसके लिए सरकारी फंड लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने 1.25 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक पंचायत भवन बनवाकर पंचायत को समर्पित किया है। पंचायत भवन के सभी कमरे एयरकंडीशन्ड हैं। 500 लोगों की क्षमता का मीटिंग हॉल है। बुढ़ातला पंचायत से लेकर पुरानी भियाड़ पंचायत तक करीब 4-5 किमी. तक सड़क के दोनों तरफ 2000 पौधे लगाए गए हैं। इनके दोनों ओर बाड़ की गई है।

दुर्गसिंह राजपुरोहित

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