राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के विभिन्न धड़ों ने एकजुटता का मैसेज दिया है। विधायक दल के नेता पर राजेंद्र राठौड़ की ताजपोशी के समय सभी गुट एकजुट दिखाए दिए। अपने वफादार रहे राठौड़ के नाम का प्रस्ताव खुद वसुंधरा राजे ने कर सभी को चौंका दिया। ओम माथुर, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया, सीपी जोशी और अरुण सिंह एक कतार में मौजूद दिखे। राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि यूनाइटेड फ्रंट तस्वीर का सकारात्मक मैसेज गया है। अब इन लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीएम अशोक गहलोत से लड़ने की है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में होने हैं। सिर्फ 8 महीने बचे हैं। विभिन्न गुटों में बंटे बीजेपी नेताओं ने एकता दिखाने की कोशिश की है। दरअसल, वसुंधरा राजे कैंप के नेता सीएम फेस घोषित करने की मांग करते रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सत्ता में वापसी होगी। जबकि वसुंधरा राजे के धुर विरोधी सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की बात कहते रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी और पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल के आधार पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। राजस्थान में गुटबाजी की खबरें जेपी नड्डा तक पहुंचती रही है। नेता प्रतिपक्ष की ताजपोशी के समय जिस तरह बीजेपी के सभी नेताओं ने एकजुटता दिखाई दी है, उसका चुनाव में फायदा मिल सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि साढ़े चार साल बीजीपी के बड़े नेता एक-दूसरे की टांग खिंचाई करते रहे हैं। यहीं वजह है कि उप चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। जन आक्रोश यात्रा के दौरान में गुटबाजी साफ दिखाई दी। राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि बीजेपी साढ़े चार साल में बीजेपी के नेता गहलोत सरकार के खिलाफा सत्ता विरोधी माहौल खड़ा नहीं कर पाए। दूसरी तरफ सीएम गहलोत योजनाओं के सहारे वापसी का दांवा कर रहे हैं।
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि प्रतिपक्ष का नेता यह अपने आपमें ऐसे समय में महत्वपूर्ण हो जाता है कि कांग्रेस के कुशासन और जंगलराज के खिलाफ 2023 में हम संघर्ष कर रहे हैं। पार्टी के एक मुख्य कार्यकर्ता के नाते मेरे जैसे छोटे एक सामाजिक कार्यकर्ता और किसान परिवार में जन्मे कार्यकर्ता को दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक संगठन भाजपा के मुख्य कार्यकर्ता की जिम्मेदारी मिली। हम लोग तीन आयामों पर काम करते हैं, संगठन की विशेष रचना के नाते, कोरोना जैसी विभीषिका थी और उसके साथ हम लोग सामाजिक सरोकारों के लिए भी काम करते हैं। पूनिया ने कहा कि मैं मानता हूं कि कोरोना की चुनौती बड़ी थी, लेकिन हम सब लोगों ने कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में हम सफल हुए।राजस्थान में सड़क से लेकर सदन तक जनहित के तमाम मुद्दे थे, जिन पर अलख जगाने का काम हम सब लोगों ने किया।