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राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल का विरोध, जयपुर में दिखाई ताकत

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राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई हैं। डॉक्टरों ने राजधानी जयपुर में बड़ी रैली निकालकर साफ संकेत दिए है कि वह झुकने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि वह मुख्यमंत्री से ही वार्ता करेंगे। सीएम गहलोत की तरफ से वार्ता के फिलहाल संकेत नहीं है। डाॅक्टरों का कहना है कि सरकार पहले राइट टू हेल्थ बिल को वापस ले। इसके बाद ही बिल की कमियां या खामिया बताएंगे। जबकि सीएम गहलोत कहते रहे है कि डाॅक्टरों से बातचीत के बाद ही बिल पारित किया गया। विरोध करने का तुक समझ से परे है। प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सकों और संचालनकर्ताओं के सराकरी चिकित्सकों का साथ मिला है। जिसकी वजह से चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। 

हड़ताल की वजह से जयपुर समेत प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों और प्रदेश के बाहर से आए मरीजों और उनके परिजनों को भी इलाज के लिए भटकना पड़ रहा रहा है। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा लाए गए ‘राइट टू हेल्थ’ बिल के विरोध में निजी अस्पतालों के डॉक्टर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. अब इनके समर्थन में सरकारी चिकित्सक भी उतर आए हैं। उन्होंने आज सोमवार को दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर अपना विरोध दर्ज करवाया और आंदोलनरत डॉक्टरों को अपना समर्थन दिया। सोमवार को कार्य बहिष्कार सुबह 9 से 11 बजे तक ही था लेकिन सवाई मानसिंह अस्पताल के धन्वन्तरि ओपीडी में 11 बजे के बाद भी डॉक्टरों के ज्यादातर चैंबर खाली दिखाई दिए थे। इसके चलते सुबह 8-8:30 बजे से कतार में लगे मरीज और उनके परिजन परेशान होते रहे।

अपनी बीमारी का इलाज कराने आगरा से आई बुजुर्ग महिला संतोष का कहना है कि वह सुबह से कतार में लगी है. लेकिन करीब दो घंटे बाद भी उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. वह खांसी, जुकाम और बुखार की समस्या से परेशान है। जमवारामगढ़ से आए रामनारायण की भी यही पीड़ा है. वे अपने रिश्तेदार को दिखाने एसएमएस एसएमएस अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. वे सुबह 9 बजे से कतार में लगे हैं लेकिन अभी तक डॉक्टर का कोई अता-पता नहीं है. बार-बार उन्हें लाइन में खड़ा होने के लिए कहा जा रहा है लेकिन डॉक्टर कब तक आएंगे यह कोई नहीं बता पा रहा है. कोई खुद बीमार होकर भी कतार में डॉक्टर के आने की राह देख रहा है तो कोई अपने किसी बीमार परिजन को दिलासा देते हुए लंबी कतार में अपनी बारी का इंतजार कर रहा है. लेकिन जब तक डॉक्टर नहीं आते तब तक इनकी पीड़ा सुनने वाला यहां कोई नहीं है। 

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