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राजस्थान में BJP के जातिगत समीकरण कांग्रेस संग करेंगे खेल? समझें प्लान

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2023 में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा जातीय समीकरणों को साधने में जुट गई है। पिछले महीने पार्टी ने राज्य इकाई का नेतृत्व करने के लिए एक ब्राह्मण चेहरे को चुना था। चितौड़गढ़ से सांसद चंद्र प्रकाश जोशी (सी पी जोशी) को भाजपा की राजस्थान इकाई की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सतीश पूनिया की जगह ली। वहीं, आज राजस्थान विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को विपक्ष का नेता बनाया गया। इस तरह आलाकमान की ओर से राज्य में राजनीतिक रूप से मजबूत राजपूत समुदाय को पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया गया। 

कटारिया की कमी को पूरा करने की कोशिश
ब्राह्मण समाज से ताल्लुक रखने वाले सी पी जोशी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की और दूसरी बार संसद पहुंचे। जोशी कभी राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद करीबी माने जाते थे। हालांकि, उनके बारे में पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि वह राजस्थान में भाजपा के किसी गुट के नहीं हैं। पूनिया के वसुंधरा से कभी अच्छे संबंध नहीं रहे। प्रदेश भाजपा के एक नेता ने कहा कि उदयपुर संभाग में कटारिया की कमी को पूरा करने के लिए भाजपा को एक मजबूत नेता की जरूरत थी, ताकि आगामी चुनावों में पार्टी को इन क्षेत्रों में कोई नुकसान ना हो।

2018 वाली गलती से बचने का प्रयास
2018 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा आलाकमान ने राजपूतों को रिझाने के लिए गजेंद्र सिंह शेखावत को स्टेट यूनिट चीफ का पद देने का प्रयास किया। दरअसल, वह आनंद पाल मुठभेड़ मामले को लेकर वसुंधरा राजे से नाराज चल रहे थे। कहा जाता है कि राजे ने इस प्रयास को रोक दिया और अशोक परनामी भाजपा प्रमुख बनाए गए। मगर, विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस बार बीजेपी के पास राजस्थान भर में अपील करने वाले नेताओं की कमी नजर आ रही है। ऐसे में पार्टी के लिए जातिगत गणित जरूरी हो गया है। साथ ही पार्टी की योजना वसुंधरा राजे के करिश्मे का इस्तेमाल करने और उन्हें नाराज नहीं करने की है।

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