पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर जंग तेज होती जा रही है। हाल ही में हरियाणा में सैकड़ों पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास के पास धरना दिया था.
इन कर्मचारियों व पेंशनरों की मांग पुरानी पेंशन बहाल करने की थी। इससे पहले कई राज्य सरकारें पुरानी पेंशन बहाल कर चुकी हैं। पुरानी पेंशन बहाल करने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान देशभर में इसे बहाल करने की मांग की थी.
पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया
कर्मचारियों द्वारा की जा रही पुरानी पेंशन की मांग में अब बड़ा अपडेट तब आया जब एमपी में बीजेपी विधायक गौरीशंकर बिसेन ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया. पूर्व कृषि मंत्री बिसेन ने अपनी ही सरकार पर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने कहा कि भले ही उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाए या पद से हटा दिया जाए, लेकिन पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए.
मेरी आवाज को दिल्ली ले जाओ…
उन्होंने कहा, जिस तरह वृद्धावस्था में पति को पत्नी और पत्नी को पति की जरूरत होती है, उसी तरह कर्मचारियों के लिए वृद्धावस्था पेंशन जरूरी है। मेरी आवाज को दिल्ली ले जाओ…लाखों साथियों को पुरानी पेंशन दो…कोई बात नहीं पार्टी मुझे निकाल देगी, मेरा पद छीन लो। लेकिन अगर आपके घर में चूल्हा नहीं जले तो फर्क पड़ेगा।
गारंटीड पेंशन 50 फीसदी दी जाए दूसरी ओर सूत्रों ने दावा किया है कि मोदी सरकार पुरानी पेंशन की मांग को लेकर बीच का रास्ता निकालने की योजना बना रही है. पहले विकल्प के तौर पर सरकार की ओर से यह विचार किया जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस के तहत मिलने वाले पिछले वेतन का लगभग 50 फीसदी गारंटीशुदा पेंशन दी जाए. इस नियम के लागू होने से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ डाले बिना मौजूदा एनपीएस में बदलाव किया जा सकता है।
सूत्रों का दावा है कि अधिकारियों ने ऐसी योजना बनाई है कि एनपीएस में इस तरह से बदलाव हो सकता है कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को 41.7% राशि एकमुश्त और शेष 58.3% वार्षिकीकरण के आधार पर मिलेगी। एक विश्लेषण से यह भी पता चला है कि यदि केंद्र/राज्य सरकार के अंशदान (14%) से बना 58.3% कॉर्पस का वार्षिकीकरण किया जाता है, तो एनपीएस में पेंशन अंतिम आहरित वेतन का लगभग 50% हो सकता है। अभी तक सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।