डाॅक्टरों ने राजस्थान में आज राइट टू हेल्थ बिल के विरोध मद्देनजर गहलोत सरकार ने मेडिकल कालेजों के लिए जूनियर रेजिडेंट्स के 1000 पद स्वीकृत किए है। सभी मेडिकल काॅलेजों के प्राचार्यों को आज की इंटरव्यू लेने के निर्देश दिए है। इनकी नियुक्ति 6 महीने के लिए की जा रही है। सूत्रों के अनुसार अकेले एसएमएस मेडिकल काॅलेज को 450 से अधिक जूनियर रेजिडेंट मिलेंगे। इसके अलावा अन्य मेडिकल काॅलेजों के लिए भी 100 से 150 जेआर के पद स्वीकृत किए है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिकल काॅलेज के प्राचार्यों के आज ही इंटरव्यू लेने के निर्देश दिए है। सूत्रों के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव टी रविकांत के आग्रह पर पद स्वीकृत किए गए है।
चिकित्सा विभाग ने सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को लेकर एक आदेश जारी किया गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश में मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी सूरत में चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत नहीं किए जाएं। आदेश में लिखा गया है कि राज्य में वर्तमान में निजी चिकित्सालयों का संचालन बंद होने के कारण मरीजों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यह भी देखने में आया है कि राजकीय चिकित्सालयों में भी चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं।अवकाश स्वीकृत कराये बिना कर्तव्य से अनुपस्थिति को स्वेच्छा से अनुपस्थिति मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लायी जायेगी। सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया जाता है कि रेजिडेन्ट चिकित्सकों द्वारा किसी भी प्रकार की कर्तव्य के प्रति लापरवाही राजकीय सम्पत्ति को नुकसान, मरीजों एवं परिजनों से दुर्व्यवहार किये जाने पर उनका पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई प्रारंभ करें। राज्य सरकार के नियमित कार्मिकों के कार्य बहिष्कार करने पर उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रारम्भ करें. उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
परसादी लाल मीणा ने कहा कि चिकित्सकों को कोई अधिकार नहीं है कि वह बिल को वापस लेने की मांग करें. उन्होंने कहा कि अस्पतालों में सरकारी चिकित्सक अभी भी काम कर रहे हैं. यदि वे कामकाज बंद करते हैं तो फिर सरकार भी सख्ती करेगी. विधानसभा में सभी सदस्यों ने एक स्वर में बिल पास किया है। आंदोलनरत चिकित्सक अपने आपको कानून से ऊपर न समझें. कानून लाने से पहले सभी चिकित्सकों से बातचीत की गई थी, उनकी हर बात को कानून में शामिल किया गया है। लेकिन अब चिकित्सक वादाखिलाफी कर रहे हैं जो बर्दाश्त से बाहर है. चिकित्सकों के आंदोलन से जनता के बीच सरकार की नेक मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. इसलिए उन्होंने स्पष्ट किया की राइट टू हेल्थ बिल वापस नहीं लिया जाएगा. हालांकि चिकित्सा मंत्री ने यह कहा है कि सरकार की ओर से वार्ता के द्वार खुले हैं। हड़ताल कर रहे चिकित्सक कभी भी सरकार के साथ वार्ता कर सकते है।