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राजस्‍थान: सरकारी डॉक्टर भी हो रहे थे लामबंद पर चेतावनी से खींचे कदम

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राजस्‍थान में स्वास्थ्य अधिकार विधेयक के खिलाफ सरकारी डॉक्टरों ने भी निजी चिकित्सकों के पक्ष में आवाज बुलंद करनी शुरू की थी। सरकारी डॉक्टर बुधवार को एक दिन की हड़ताल पर चले गए थे। इस बीच राज्य सरकार ने चेतावनी दी कि यदि कोई सरकारी डॉक्टर या कर्मचारी बिना इजाजत के छुट्टी लेता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। फरमान असर साफ दिखा और भरतपुर, अलवर और उदयपुर समेत कई स्थानों पर सरकारी डॉक्टर अस्पतालों में काम पर लौट आए। सरकारी डॉक्टरों ने ओपीडी में मरीजों का इलाज भी किया। राहत की बात यह कि इमरजेंसी सेवाओं और आईसीयू को हड़ताल से अलग रखा गया था। इस रिपोर्ट में जानें सूबे में दिन भर कैसा रहा माहौल…

सरकारी सख्ती का दिखा असर
राजस्थान में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में हड़ताल का बहुत अधिक असर नहीं पड़ा। इसी तरह, स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा के गृहनगर दौसा में भी सेवाएं अप्रभावित रहीं। अलवर, भरतपुर, उदयपुर, डूंगरपुर में अनेक च‍िक‍ित्‍सक दो घंटे तक काम का बहिष्कार कर ड्यूटी पर लौट आए। भरतपुर में तीन घंटे तक कार्य बहिष्कार के बाद चिकित्सक जिला अस्पताल में ड्यूटी पर लौट आए। सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने बताया कि न‍िजी च‍िक‍ित्‍सकों के आंदोलन के समर्थन में एसोसिएशन ने बुधवार को एक दिन के सामूहिक अवकाश का आह्वान किया था। 

स्वास्थ्य मंत्री बोले- सरकार के दरवाजे खुले
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में मौजूद नसरुद्दीन ने कहा कि मैं हरियाणा से अपने चचेरे भाई का इलाज कराने आया हूं। मुझे हड़ताल की जानकारी नहीं थी। हालांकि,  हमने डॉक्टर से परामर्श लिया जिन्‍होंने एमआरआई की सिफारिश की है। एक अन्य व्यक्ति सुरेंद्र मीणा ने कहा कि वह पेट में दर्द के कारण अस्पताल आया था और एक घंटे के इंतजार के बाद डॉक्‍टर को दिखा पाया। स्वास्थ्य मंत्री मीणा ने च‍िक‍ित्‍सकों की हड़ताल को अनुचित बताते हुए कहा क‍ि सरकार के दरवाजे खुले हैं और यदि आंदोलनकारी च‍िक‍ित्‍सकों के पास कोई सुझाव है तो वे सरकार को दे सकते हैं।

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