जयपुर बम ब्लास्ट मामले में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा चारों आरोपियों को बरी करने के फैसले को गहलोत सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए फांसी की सजा को रद्द करते हुए बरी कर दिया था। जयपुर में 2008 में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। सरकार सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर करने जा रही है। आर्टिकल 136 के तहत SLP दायर करने की पूरी तैयारी कर ली गई है। गहलोत सरकार में जलदाय मंत्री महेश जोशी ने भी इस बात संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार विधिक राय लेकर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद बीजेपी ने गहलोत सरकार को कमजोर पैरवी करने का जिम्मेदार ठहराया है. जलदाय मंत्री महेश जोशी ने बीजेपी पलटवार करते हुए कहा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर बीजेपी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। विशेष न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द किया है, लेकिन सरकार के पास अभी भी सुप्रीम कोर्ट का विकल्प है। सरकार विधिक राय ले रही है। आरोपियों को सजा दिलाने के लिए जहां तक भी जाना पड़े सरकार जाएगी. सरकार हाईकोर्ट के पैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती देगी. जोशी ने कहा कि जब बम ब्लास्ट हुए थे उस समय बीजेपी की सरकार थी उन्होंने क्या किया ?
उल्लेखनीय है कि 13 मई 2008 राजधानी जयपुर की चार दिवारी क्षेत्र में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। एक के बाद एक आठ बम धमाकों में 71 से ज्यादा मासूम लोगों की मौत हुई थी और 180 से अधिक घायल हुए थे। इस मामले में पुलिस ने सलमान, मोहम्मद सैफ, शाहबाज हुसैन, सैफुर्रहमान और सरवर आजमी को गिरफ्तार किया था। जयपुर ब्लास्ट की विशेष अदालत ने 18 दिसंबर, 2019 को शाहबाज हुसैन को बरी कर अन्य चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। चारों आरोपियों ने विशेष न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर हाईकोर्ट ने फांसी के आदेश को रद्द करते हुए सभी को बरी कर दिया।