राजस्थान की गहलोत सरकार 2008 के जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में बरी हुए आरोपियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करेगी। सरकार ने कमजोर पैरवी करने पर अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव की सेवाएं भी समाप्त कर दी है। दरअसल, 71 लोगों की हत्या के आरोपियो के बरी होने पर सीएम गहलोत बीजेपी के साथ-साथ सचिन पायलट के निशाने पर आ गए थे। पायलट ने प्रेस वार्ता में इशारों में ही गहलोत पर निशाना साधा। गृह विभाग गहलोत के पास है। ऐसे में पायलट ने गृह विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था। माना जा रहा है कि गहलोत ने तेवरों को देखते हुए ही अतिरिक्त महाधिवक्ता की सेवाएं समाप्त कर स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की है।
जयपुर सीरियल ब्लास्ट के आरोपियों के बरी होने के मामले में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री के गृह विभाग पर सवाल उठाए हैं। पायलट ने कहा कि सबको पता है ब्लास्ट हुए थे और आरोपियों को पकड़ा गया था। लोअर कोर्ट से मौत की सजा पाए आरोपी अगर जांच में कमी की वजह से छूट जाएं तो यह गंभीर मामला है। जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए।हमें पीड़ितों को जवाब देना है, उन्हें न्याय दिलाना है। अगर हम कोर्ट से न्याय नहीं दिलवा पा रहे हैं तो कोई कमी है। पायलट गुरुवार को जयपुर में अपने आवास पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। पायलट ने कहा कि गृह विभाग और लॉ डिपार्टमेंट को ही देखना पड़ेगा कि मौत की सजा सुनाने के बाद भी अगर हाईकोर्ट में जांच की खामियों के कारण आरोपी छूट जाए तो यह बहुत गंभीर मामला है। इन्वेस्टिगेशन ढंग से नहीं हुआ,कमियां रह गई थी। जिम्मेदार लोगों की जांच होनी चाहिए। ऐसे कैसे हुआ? किसी ने तो ब्लास्ट किया होगा।
बता दें कमजोर पैरवी के वजह से चारों आरोपी बरी हो गए। जबकि ट्रायल कोर्ट ने सभी को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने खामियों की वजह से सभी आरोपियों को बरी कर दिया। गहलोत सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास पर उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 के जिला न्यायालय के फैसले को पलटते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों को बरी किया है। फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।