राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले ही सीएम गहलोत ने अपने धुर विरोधी सचिन पायलट पर भारी पड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। गहलोत के मंत्री, विधायक खुलेआम लगा रहे चौथी बार गहलोत सरकार के नारे लगा रहे हैं। गहलोत ने भी संकेत दिए है कि मुख्यमंत्री ही चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होता रहा है। ऐसे में कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो चौथी सीएम वह खुद ही बनेंगे। फिर से गहलोत के नारों से साफ संकेत मिल रहे हैं कि राजस्थान कांग्रेस में आने वाले दिन काफी खींचतान से भरे हो सकते हैं।
बता दें, गहलोत की 25 सितंबर 2022 के बाद एआईसीसी में कुछ पकड़ कमजोर हुई थी, लेकिन अब लग रहा है कि गहलोत के लिए दिल्ली आलाकमान में ‘ऑल इज वेल’ की स्थिति वापस बन चुकी है। जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 25 सितंबर से पहले कांग्रेस और राहुल गांधी से जुड़े मुद्दों में निर्णायक की भूमिका में थे, अब एक बार फिर वह उसी भूमिका में दिखाई देने लगे हैं और लग रहा है कि जो नुकसान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 25 सितंबर की घटना से हुआ था, अब उसे कांग्रेस आलाकमान भुला चुका है। हालांकि, पायलट कैंप ने कांग्रेस विधायक दल की दोबारा बैठक बुलाकर जवाबी हमले का तैयारी कर ली थी, लेकिन राहुल गांधी की मुद्दा आ जाने की वजह से पायलट कैंप ने ऐनवक्त पर रणनीति बदल ली।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सचिन पायलट की खामोशी के बीच सीए गहलोत खुद यह कहते नजर आ रहे हैं कि मुझे आलाकमान को जो कुछ कहना था वह मैं कह चुका हूं। अब अंतिम निर्णय आलाकमान को लेना है और यह निर्णय आलाकमान कब लेगा। यह आलाकमान पर निर्भर है। पायलट की निराशा इस बात से भी झलकती है कि वह कह चुके हैं कि राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं होने और बार-बार भाजपा के बाद कांग्रेस और कांग्रेस के बाद भाजपा होने के चलते जो सुझाव उन्हें देने थे, वह उन्होंने दे दिया। बीते साल 25 सितंबर को जो कुछ हुआ, सबके सामने है. उस पर कार्रवाई को लेकर भी एआईसीसी को ही निर्णय लेना है। बता दें, 25 सितंबर को गहलोत कैंप ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया था।