राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भाजपा राज में हुए करप्शन के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के मुद्दे पर अनशन की घोषणा करके गहलोत सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पायलट ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जिस अंदाज में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेरा है, इसे कांग्रेस में फिर नई लड़ाई की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। चुनावी साल में पायलट खेमे के इस दांव के पीछे सियासी रणनीति मानी जा रही है। कांग्रेस में चुनाव से आठ महीने पहले फिर अंदरूनी खींचतान बढ़ गई है। पायलट ने सीएम गहलोत से लेकर पार्टी और सरकार के लिए भी असहज हालात पैदा कर दिए हैं।
वसुंधरा सरकार पर करप्शन के आरोप लगा गहलोत को घेरा
सचिन पायलट ने कहा कि 2013 में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और हम चुनाव हार गए थे। इसके बाद में मुझे कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। पूरे पांच साल का कार्यकाल रहा। इस कार्यकाल में वसुंधरा राजे की सरकार थी। उस सरकार का नीतियों के आधार पर विरोध किया। वसुंधरा सरकार में भ्रष्टाचार हुए। हम लोगों ने भ्रष्टाचार के प्रकरण सामने लेकर आए और जनता के सामने उजागर किया। कांग्रेस की बात को जनता ने स्वीकार किया। यही कारण है कि जनता ने कांग्रेस को फिर से विजयी बनाया। वसुंधरा सरकार पर जो आरोप लगाए थे वो हम सभी कांग्रेस नेताओं ने लगाए थे। हमने जनता से वादा किया था कि भाजपा के शासन में हुए भ्रष्टाचार की प्रभावशाली और निष्पक्ष तरीके से जांच कराएंगे और दोषियों को सजा दिलाएंगे। मैंने कभी भी प्रतिशोध की भावना का समर्थन नहीं किया। पायलट ने ललित मोदी कांड उठाकर वसुंधरा के साथ-साथ सीएम गहलोत पर निशाना साधा है।