राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम वसुंधरा राजे सरकार के करप्शन की जांच कराने की मांग को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में शहीद स्मारक पर अनशन पर बैठेंगे। पायलट समर्थक कार्यकर्ताओं के साथदिनभर अनशन करेंगे। पायलट ने वसुंधरा राजे के सीएम रहते हुए घोटालों पर कार्रवाई नहीं होने को मुद्दा बनाकर अनशन की घोषणा की है। पायलट अपने अनशन में समर्थक मंत्रियों और विधायकों को साथ नहीं रखेंगे। मंत्री और विधायकों को साथ रखने की जगह आम समर्थकों को साथ रखेंगे। पायलट कैंप की रणनीति किसी भी तरह के शक्ति प्रदर्शन से बचने की है। सूत्रों के अनुसार पायलट नहीं चाहते है कि किसी भी तरह का शक्ति प्रदर्शन हो।
सचिन पायलट ने समर्थक मंत्री और विधायकों को रणनीति के तहत अनशन से दूर रखने का फैसला किया है। समर्थक विधायकों के अनशन पर बैठने से उनकी गिनती होती। इसमें दो तरह के नुकसान थे। इससे गहलोत और पायलट के समर्थक विधायकों की तुलना होती। संख्या बल किसके पास ज्यादा है, यह बात उठती। दूसरा, इसे बगावत से जोड़कर देखा जाता। इस वजह से पायलट ने आम समर्थकों के साथ अनशन करने की रणनीति अपनाई है।
सचिन पायलट के अनशन की घोषणा के बाद से कांगेस की अंदरूनी सियासत फिर गर्मा गई है। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा पायलट मामले में डैमेज कंट्रोल के लिए मंगलवार दोपहर जयपुर पहुंच रहे हैं। रंधावा सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से बैठक करके इस मामले में डैमेज कंट्रोल की कोशिश करेंगे। हालांकि, रंधावा ने पूरे प्रकरण पर नाराजगी जताई है। रंधावा ने कहा कि पायलट को कोई दिक्कत तो थी मुझसे बात करते। इसके बाद ही कोई निर्णय लेते।