राजस्थान में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव होने में ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में राज्य के नेताओं ने अपना शक्ति प्रदर्शन शुरू कर दिया है लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदर ही फूट देखने को मिल रही है। एक ओर गहलोत जहां अपनी योजनाओं के माध्यम से जनता का ध्यान आकर्षित करना चाह रहे हैं वहीं राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पूर्व की वसुंधरा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर रहे हैं। इस मांग को लेकर 11 अप्रैल को पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन का अनशन भी किया था। राजस्थान की राजनीति चहल-पहल ने कांग्रेस आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है।
सभी को साथ लेकर चलने के प्रयास में कांग्रेस
राजस्थान चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहा है। पर इसके लिए पायलट का भी साथ रहने के लिए तैयार होना जरूरी है। बातचीत की प्रक्रिया में पायलट को अपना रुख नरम करने के लिए भी मनाया जा रहा है। पार्टी यह आकलन भी कर रही है कि पायलट के जाने या नहीं जाने से क्या फायदा और नुकसान हो सकता है। पार्टी का बड़ा तबका मानता है कि पायलट के कांग्रेस छोड़ने से चुनाव में नुकसान होगा। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान पायलट पर कार्रवाई करने से बच रहा है।
2024 का लोकसभा चुनाव
राजस्थान में होने वाले चुनावों के कुछ दिनों बाद ही लोकसभा का चुनाव होना है। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं। हालांकि, वर्तमान में सभी 24 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है और एक सीट से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल सांसद हैं। लोकसभा चुनावों को देखते हुए राजस्थान की राजनीति को साधना अहम हो जाता है। राजस्थान के वोटरों में सचिन पायलट की अच्छी पैठ है। कांग्रेस नहीं चाहती है कि पायलट को लेकर ऐसा कुछ निर्णय लिया जाए जिसका खामियाजा भुगतना पड़े। ऐसे में पायलट को लेकर कांग्रेस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।