प्रवीण धींगरा
जोधपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर ने अपने एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के परीक्षण में सफलता हासिल की है। आबूरोड में संचालित अपने केंद्र से वहां के रिमोट एरिया वालोरिया तक ड्रोन से दवा पहुंचाने का प्रयोग सफल रहा। एम्स ने आईआईटी जोधपुर का सहयोग लेकर मेडिकल केयर क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग की सार्थकता को सिद्ध करने के लिए प्रोजेक्ट शुरू किया है। दवा बॉक्स एसटीएचआर केंद्र आबूरोड से ड्रोन के माध्यम से वालोरिया ग्राम पंचायत जो कि केंद्र से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, वहां भेजा गया। वहां से कुछ संभावित टीबी रोगियों के बलगम के सैंपल को ड्रोन के द्वारा वापस सेंटर को भेजे गए। इस पूरी प्रक्रिया को करने में एक घंटे का समय लगा जो कि रोड के द्वारा तय किए गए समय का एक तिहाई से भी कम है।

एम्स ने इस प्रोजेक्ट के लिए आईआईटी जोधपुर का सहयोग लिया है। बीते दिनों इसी से जुड़ी सीएमई में आईआईटी जोधपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. जयंत कुमार मोहंता ने जानकारी दी थी कि बीते दिनों में ड्रोन लैब्स में ही नजर आते थे। अाज के दौरे में हेल्थ केयर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में ड्रोन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मील का पत्थर बनेगा। उन्होंने जर्मनी से जुड़ी खुद की यात्रा के बारे में बताया कि वहां कैसे स्पेशलियस्ट डॉक्टर को हैलीकॉप्टर से लाया जाता है। हर अस्पताल में हैलीपेड है। जब हेल्थकेयर से जुड़े ड्रोन सेटेलाइट बेस्ड हो जाएंगे तो इनकी रेंज बढ़ जाएगी। त्वरित मेडिकल हेल्प, लोकेशन पर क्या चाहिए, क्या पहुंचाना है, लोगों से बात तक कर सकेंगे। खासकर, आपदा व विपत्ति में जब वहां पहुंचने के कोई साधन नहीं होंगे तो ड्रोन ही सबसे बेहतर विकल्प होगा। अब तो ब्लड ट्रांसपोर्ट के रास्ते खुल रहे हैं तो दवा के साथ इक्यूपमेंट भी इसी से भेजे जा सकेंगे। उनके मुताबिक चार्जिंग प्वाइंट, ड्रोन के हवा से ही डिलीवरी करने, डेस्टिनेशन पर बिना चार्जिंग सुविधा के कैसे संचालन जैसे पहलुओं पर भी रिसर्च हो रही है।
मेडिकल के लिए बन रहे हैं ऐसे ड्रोन
- 600 मिनट तक उड़ान, 100 से
200 किलोमीटर तक कंट्रोल रेंज
90 KMPH की स्पीड, 10 किलो
तक वजन साथ ले जाने की क्षमता - 55 से 380 मिनट तक उड़ान क्षमता, 50 से 100
किलोमीटर तक कंट्रोल रेंज, 80 KMPH की स्पीड
3.5 से 31 किलो तक वजन ले जाने की क्षमता
कीमत : हाईब्रिड बड़ा साइज- 15 से 20 लाख, खर्च 2 से 3 रू. प्रति किलोमीटर
AIIMS Jodhpur conducted a trial by delivering medicines using drones in remote areas.