– प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के लिए भी अब ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देना आसान नहीं
नारद बाड़मेर। प्रदेश में आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के उन दावेदारों की मुश्किलें बढ़नी तय है, जिनका आपराधिक बैकग्राउंड है। कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने। राजस्थान के दौरे पर आए मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट कर दिया कि विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने आपराधिक पृष्टभूमि वाले नेता को उम्मीदवार बनाया, तो उन्हें समाचार पत्रों में यह बताना होगा कि उसने ऐसे नेता को टिकट क्यों दिया? क्या उस विधानसभा में उनके अलावा कोई प्रत्याशी नहीं था। इसके लिए उन्हें समाचार पत्रों में स्पष्टीकरण देना होगा। इतना ही नहीं, खुद उस उम्मीदवार को भी तीन बार समाचार पत्रों में अपनी जानकारी देनी होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के इस बयान के बाद प्रदेश के कई कांग्रेस या भाजपा उम्मीदवारों को झटका लगा है और ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है बाड़मेर जिले से। जहां भाजपा के जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह भी विधानसभा चुनाव के टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन इनके खिलाफ दर्ज मुकदमों की फेहरिस्त में कई संगीन धाराओं वाले मामले भी हैं, जिनकी वजह से स्वरूपसिंह की दावेदारी खतरे में पड़ सकती है। बताया जाता है कि भाजपा जिलाध्यक्ष सिंह के खिलाफ बाड़मेर में न्यायिक अभिरक्षा में रहते हुए जेल से फरार होने जैसे संगीन केस दर्ज होने के बाद कोर्ट में चालान भी पेश हुआ था। इस प्रकरण में कोर्ट ने वर्ष 2007 में अपने फैसले में धारा 224 के तहत दोषी करार किया गया। इतना ही नहीं, इससे पहले सिंह के खिलाफ जानलेवा हमले का मामला भी दर्ज हुआ था और उसी में गिरफ्तार किया गया था। बाड़मेर भाजपा जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह का यह मामला एक उदाहरण मात्र है। इनके अलावा भी प्रदेशभर में अनगिनत दावेदार बताए जा रहे हैं, जिनके खिलाफ एक या इससे कई ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हो रखे हैं। ऐसे में भाजपा हो या कांग्रेस या कोई अन्य राजनीतिक दल, ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने से पहले आपराधिक पृष्ठभूमि को तो खंगालना ही पड़ेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।