तिंवरी। माली समाज राम रसोड़े में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथावाचक सन्त कृपाराम महाराज ने रामचरित मानस सुनने और इसमें बताए मार्ग का अनुसरण करने का महत्व बताया। कथावाचक ने कहा कि जीवन के हर संशय का समाधान श्रीराम कथा करती है।द्वितीय दिवस की कथा में सन्त ने बताया कि माता सती ने अभिमान वश कुंभज ऋषि से श्री राम की कथा को नहीं सुना और श्री राम पर संदेह किया। उसके बाद माता सती बिना बुलाए अपने पिता के यज्ञ में गई। भगवान शंकर का और अपना अपमान सहन नहीं कर सकी। योग अग्नि के द्वारा अपने शरीर को जलाकर भस्म कर दिया। लेकिन माता सती ने दोबारा जन्म लिया और जिसके बाद शिव पार्वती का विवाह आनंदपूर्वक संपन्न हुआ।
संत ने कहा कि माता-पिता, पुत्र- पुत्री, भाई-बहन, सास-बहू आदि रिश्ते कैसे निभाने चाहिए, यह संदेश देने के लिए प्रभु श्री राम इस धरती पर आए, क्योंकि कलयुग में इन सब रिश्तों में दरारें आ गईं हैं, रिश्तों को निभाना नहीं आ रहा है। त्रेता युग की राम कथा कलयुग के प्राणियों के लिए बहुत ही उपयोगी है। क्योंकि जो समस्या आजकल रिश्ते निभाने में आती है, उस समस्या का समाधान उस युग में श्री राम ने दे दिया था।
संत ने कहा कि पति- पत्नी शुभ कार्य करें तो वो साथ में मिलकर करना चाहिए, ताकि जिससे घर परिवार में लड़ाई झगड़े नहीं हो, मन का मिलना जरूरी है। विचार अलग होना ही घर में लड़ाई का मुख्य कारण है। संत ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के विषय पर जोर देते हुए कहा कि आजकल लोगों की सोच बहुत छोटी हो गई है। आज भी कई घरों में लोग बेटियों को जन्म नहीं देते और कई जन्म दे देते हैं तो कई उनको अपनी छोटी सोच के कारण पढ़ाते नहीं है। अपनी छोटी सोच को बड़ी करना होगा और बेटियों को पढ़ा लिखाकर बेहतर संस्कार देने चाहिए।






