भोपालगढ़
शहर सहित क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों गर्मी के ऋतु शुरू हो गई गर्मी में ऋतु फल के रूप में मशहूर तरबूज व खरबूजों की आवक एवं बिक्री तेज होने लगी है, और बाजार में ठेलों व सब्जी मंडी में इनकी ढेरियां भी नजर आने लगी है। ग्रामीणों में भी इनकी खरीददारी के प्रति खासा चाव नजर आ रहा है।ग्रामांचल में खरबूजों व तरबूजों को ऋतुफल के रुप में जाना जाता है और गर्मी के दिनों में इन्हें खासा पसंद किया जाता है। साथ ही गर्मी के दिनों में ही इन मारवाड़ी फलों की आवक शुरु होती है।शहर एवं आसपास के गांवों में किसान खरबूजों की पैदावार लेते हैं तथा ये फल बिकवाली के लिए मंडी व ठेलों पर नजर आने लगे हैं। तरबूज फल-सब्जी विक्रेता अधिकांशतया पीपाड़, जोधपुर मंडी या अन्य जगहों से लाकर बेचते हैं। ग्रामीण इन ऋतुफलों की खरीददारी में खासा चाव दिखा रहें हैं तथा ग्रामीण इलाकों में इनकी बिकवाली भी इन दिनों खासी तेज और जोरों पर है।
गर्मी में बुझाते हैं प्यास
गर्मी के दिनों में बार-बार लगने वाली प्यास व पानी की कमी को भी ये तरबूज पूरा करते हैं। गांवों में लोग प्यास लगने पर तरबूज के पानी को शरबत की तरह मीठे पानी के रुप में पीते हैं और इसे खाने पर भी भूख के साथ प्यास भी बुझती है। इसके अलावा गर्मी के मौसम में इसे खाने से आदमी तरोताजा भी महसूस करता है।
कम होने लगी बुवाई
शहर सहित क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में खरबूजों व तरबूज की बुवाई बहुत कम होने लगी है। इसके पीछे गांवों में घटते जल स्तर का कारण है ही साथ ही कम पानी के कारण जालोर, सिरोही व पाली जिलों से यहां आकर तरबूज व खरबूजों की खेती करने वाली प्रमुख किसान कीर जाति के लोग भी अब यहां आना लगभग पूरी तरह से बंद कर चुके हैं। जबकि स्थानीय किसानों से इनकी रखवाली व सारसंभाल भी नहीं हो पाती है।