- एबीवीपी के विरोध प्रदर्शन के दौरान समझाइश की गई। जब स्टूडेंट नहीं माने तो वीसी ऑफिस के बाहर ही जमीन पर बैठ गए और इस्तीफा साइन किया।
जोधपुर। जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी (JNVU) के कुलपति केएल श्रीवास्तव ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इतना ही नहीं जब वे सरकारी कार से जाने लगे तो फिर विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद वे पैदल ही रवाना हो गए। हालांकि श्रीवास्तव के इस्तीफे को लेकर 2 घंटे तक नाटकीय घटनाक्रम चला। एबीवीपी की ओर से सुबह 11:30 बजे से 74 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन चल रहा था। इस दौरान परिषद के प्रांत सहमंत्री सचिन राजपुरोहित, इकाई सह सचिव यश शर्मा के नेतृत्व में छात्रों ने वीसी श्रीवास्तव की कार का घेराव कर दिया। इस पर वे नीचे उतरे और सभी को उनके ऑफिस की तरफ चलने को कहा। यहां वीसी स्टूडेंट के साथ कार से उतर पैदल ऑफिस तक पहुंचे। यहां उनके गेट के बाहर ही सभी ने घेराव कर दिया और नारे लगाना शुरू कर दिया। इस पर उन्होंने सभी को ऑफिस में चलकर बातचीत करने को कहा, लेकिन कोई स्टूडेंट राजी नहीं हुआ।
उनका कहना था कि यूनिवर्सिटी में विभिन्न मांगों को लेकर दो महीने से वीसी के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हर बार ऑफिस में ले जाकर मामला शांत करवा देते हैं और कोई समाधान नहीं होता। इस पर स्टूडेंट अड़ गए कि आज जो भी बात होगी वो सभी के सामने और ऑफिस के बाहर होगी। इस पर करीब 12:30 बजे तक वे स्टूडेंट से समझाइश करते रहे। जब वे नहीं मानें तो स्टूडेंट पर झल्लाने लगे। इस पर स्टूडेंट्स ने दोबारा विरोध शुरू कर दिया। इस पर वे ऑफिस के बाहर ही जमीन पर बैठ गए और पीए से डॉक्यूमेंट मंगवाकर राज्यपाल के नाम का इस्तीफा पीए को सौंप दिया।
कार में बैठने पर किया विरोध, पैदल बाहर तक जाना पड़ा
पूरा मामला करीब 2 घंटे तक चला। ये घटनाक्रम वीसी के इस्तीफे के बाद भी शांत नहीं हुआ। इस्तीफा साइन करने के बाद वे ऑफिस में भी नहीं गए और वहीं बाहर कार मंगवा ली। वीसी को कार में बैठा देख स्टूडेंट ने दोबारा प्रदर्शन शुरू कर दिया। कहने लगे- जब इस्तीफा दे दिया तो अब किस बात की सरकारी कार। इस पर वे बीच रास्ते में ही सरकारी कार से नीचे उतरे और गेट की तरफ निकल गए। यहां उन्होंने निजी कार मंगवाई थी, जिससे दोपहर करीब डेढ़ बजे वे रवाना हो गए। कुलपति ने छात्रों के सामने ही अपना इस्तीफा राजभवन को भेज दिया।
इन विवादों से रहा है कुलपति केएल श्रीवास्तव का
केएल श्रीवास्तव ने 14 फरवरी 2022 को यूनिवर्सिटी के कुलपति के तौर पर पदभार संभाला था। इनके पदभार ग्रहण से ही कई विवाद सामने आए, जो राजभवन तक पहुंचे। बताया जा रहा है कि राजभवन से भी इन्हें लेकर नाराजगी जाहिर की गई थी। इनमें से एक यूनिवर्सिटी में साल 2017 के प्रोफेसरों को पदोन्नति का मामला, जिसमें यूनिवर्सिटी यूजीसी के 3 साल पुराने रेगुलेशन से पदोन्नति देने की तैयारी में था। जबकि यूजीसी ने साल 2018 के संशोधित रेगुलेशन के लागू होने के 3 साल बाद किसी भी पुराने रेगुलेशन के उपयोग पर रोक लगा रखी है। इस्तीफा देकर निकलते समय छात्रों ने नारेबाजी की।
गोपनीय शाखा से जुड़ा विवाद
यूनिवर्सिटी में केएल श्रीवास्तव के कुलपति रहते गोपनीय शाखा में भी विवाद उठा। गोपनीय शाखा में गोपनीयता भंग होने की वजह से भी राजभवन काफी नाराज चल रहा था। यूनिवर्सिटी में साल 2023 में भूगोल विषय में 900 से ज्यादा छात्रों की कॉपी में ज्यादा अंक देने का मामला सामने आया था। इसमें कॉपियों में दिए गए अंक कम थे, लेकिन कॉपी के मुख्य पृष्ठ पर उनकी जोड़ को गलत कर अंक बढ़ा दिए गए थे। इस मामले के खुलासे के बाद यूनिवर्सिटी ने कमेटी गठित कर दी गई थी। कमेटी की ओर से एग्जामिनर को गलत मानते हुए उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया, लेकिन ना तो जिन्हें गलत अंक दिए गए उनके परिणामों को बदल गया और ना ही गोपनीय शाखा के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।
यूनिवर्सिटी में खास शिक्षकों को स्टडी सेंटर और सेल की कमान दी गई, जबकि इनकी ग्रांट भी बंद है। इनमें भी वे शिक्षक शामिल है, जो विवादित भर्ती प्रक्रिया के शिक्षक हैं। आधा दर्जन से अधिक पद ऐसे शिक्षकों को सौंप दिए गए। इनमें लाखों रुपए का फंड का जिम्मा भी दिया गया था। यूनिवर्सिटी की ओर से पीएचडी और एमफिल प्रवेश परीक्षा एमपीटी में भी नियमों का मजाक बना दिया गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऑर्डिनेंस को ताक पर रखकर मन माने नियम तय कर नेट-स्लेट योग्यता धारी के भविष्य से खिलवाड़ करने में भी कोई कमी नहीं रखी और इस प्रक्रिया पर सवाल भी उठे।
ये भी आरोप लगा था कि यूनिवर्सिटी की ओर से एमपीटी में चहेतों के लिए ऑर्डिनेंस को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया। एमपीटी ऑर्डिनेंस में कहीं भी न्यूनतम 50% उत्तीर्ण अंक में एससी, एसटी, ओबीसी और पीएच को कोई रियायत का उल्लेख नहीं किया गया। जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने MPET के न्यूनतम उत्तीर्ण अंक में ही एससी, एसटी, ओबीसी व पीएच को 5% की रियायत दे दी। विश्वविद्यालय ने हड़बड़ी में ही प्रवेश प्रक्रिया निपटा दी गई, वाणिज्य संकाय के बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में तो चहेतों को लाभ देने के लिए इंटरव्यू के आधार पर ही प्रवेश देने का कारनामा कर दिया गया था।