बजट पूर्व बैठकों की शुरुआत होते ही इसमें संशोधन की मांग उठने लगी है। केंद्र सरकार दो साल पुरानी वैकल्पिक व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था में कर-मुक्त स्लैब को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने पर विचार कर रही है। एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक मौजूदा समय में टैक्सपेयर की सालाना टैक्सेबल इनकम 2.50 लाख रुपये है तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होता है। कर-मुक्त स्लैब का दायरा बढ़ाने से करदाताओं पर कर का बोझ कम होगा और उनके पास खर्च करने या उपयुक्त निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचेगा।
उन्होंने कहा कि बहुत कम करदाताओं ने वैकल्पिक कर व्यवस्था का विकल्प चुना है। अगर टैक्सपेयर्स सेक्शन 80C, सेक्शन 80D जैसी टैक्स छूट का फायदा उठाते हैं तो पुराने पर्सनल इनकम टैक्स सिस्टम में टैक्स देनदारी कम हो जाती है. लेकिन नई व्यवस्था में किसी तरह की कटौती का लाभ नहीं मिल रहा है. यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि बहुत कम लोगों ने नए टैक्स सिस्टम को अपनाया है।
टैक्स से जुड़ा एजेंडा अगले हफ्ते से शुरू होगा
सूत्रों के मुताबिक आगामी बजट की तैयारियों के दौरान यह मुद्दा उठाया गया है और संबंधित विभागों से व्यवस्था में सुधार के उपाय सुझाने को कहा गया है. अधिकारी का कहना है कि बजट बनाने की कवायद के तहत टैक्स से जुड़ा एजेंडा अगले हफ्ते से शुरू होगा, जहां हम टैक्सेशन सिस्टम में इस तरह के बदलाव की संभावना पर गौर करेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार करते समय यह जरूर देखना चाहिए कि इस बदलाव से सरकार को मिलने वाले कुल राजस्व पर कितना असर पड़ेगा और हमारे पास ऐसा करने की गुंजाइश है या नहीं.
उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था के तहत कर मुक्त सीमा में वृद्धि से राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव का प्रारंभिक अनुमान लगाया जा चुका है और इसे बजट निर्माताओं के पास विचारार्थ भेजा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बात पर भी चर्चा की जा सकती है कि व्यक्तिगत आयकर की पुरानी और नई दोनों प्रणालियों को बदलने की जरूरत नहीं है.
ऐसे समझें नए टैक्स स्लैब को
नए टैक्स स्लैब पर नजर डालें तो इसमें टैक्स की दर कम रखी गई है. नया टैक्स स्लैब पुराने स्लैब से कई मायनों में अलग है। कम दरों वाले और भी स्लैब हैं। इसके अलावा कई तरह की छूट और कटौतियों का लाभ पुराने टैक्स स्लैब के मुकाबले कम कर दिया गया है। इस प्रणाली में जैसे-जैसे आय बढ़ती है, टैक्स स्लैब बढ़ता जाता है और इस क्रम में टैक्स देनदारी भी बढ़ती जाती है।
- ढाई लाख तक की कमाई पर जीरो टैक्स,
- 2.5-5 लाख पर 5% (87A के तहत छूट),
- 5-7.5 लाख पर 10%,
- 7.5-10 लाख पर 15%,
- 10-12.5 लाख पर 20%,
- 12.5-15 लाख पर 25%,
- 15 लाख से ऊपर की आय पर 30% टैक्स देना होता है।
पुराना टैक्स स्लैब
पुराने टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं जमा करना होता है. इसके अलावा सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स जमा करने से छूट है। इस हिसाब से करदाताओं को करीब 6.5 लाख तक की आय पर टैक्स नहीं देना होता है। पुरानी टैक्स व्यवस्था या पुराने टैक्स स्लैब में इनकम टैक्स रेट मुख्य रूप से आपकी इनकम और इनकम स्लैब पर निर्भर करता है। इसमें उम्र का भी ध्यान रखा जाता है।
- 2.5 लाख तक – 0%
- 2.5 लाख से 5 लाख – 5%
- 5 लाख से 10 लाख – 20%
- 10 लाख से ऊपर – 30%
हितधारकों के साथ परामर्श की आवश्यकता
केंद्रीय बजट 2020-21 में कर की कम दर के साथ वैकल्पिक व्यक्तिगत आयकर स्लैब की नई प्रणाली को एक विकल्प के रूप में पेश किया गया था। हालांकि, अनुमान बताते हैं कि पुरानी प्रणाली की तुलना में अधिक कर देनदारी के कारण केवल 10 से 12 प्रतिशत करदाताओं ने इसे चुना है। पूंजीगत लाभ कर के पुनर्गठन समेत प्रत्यक्ष करों में सुधार पर भी चर्चा हो रही है। पूंजीगत लाभ के संबंध में, अधिकारी ने संकेत दिया कि यह एक अलग अभ्यास होगा और इसे बजट के बाहर भी किया जा सकता है, क्योंकि इसके लिए सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता होती है।