जोधपुर. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दुष्कर्म पीड़ित एक पंद्रह वर्षीय बच्ची को गर्भपात की अनुमति प्रदान करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने यह फैसला डॉक्टरों की सलाह के बाद किया था। जलगांव की एक पंद्रह वर्षीय किशोरी को एक युवक बहला फुसला कर जोधपुर ले आया था और यहां रहने के दौरान वह गर्भवती हो गई।
यह है मामला
जलगांव की एक किशोरी को एक युवक फरवरी में शादी का झांसा देकर बहला फुसला कर अपने साथ जोधपुर ले आया। युवक व किशोरी मई के अंतिम सप्ताह तक जोधपुर में रहे। इस दौरान किशोरी के गर्भ ठहर गया। बाद में महाराष्ट्र पुलिस दोनों को जोधपुर से जलगांव ले गी। 30 मई को जलगांव मेडिकल कॉलेज में किशोरी की जांच में सामने आया कि वह गर्भवती है और उसका गर्भ 25 सप्ताह का हो चुका है।
किशोरी की मां ने की अपील
पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट में अपील कर अपनी बेटी के भविष्य का हवाला देते हुए गर्भपात की अनुमति देने की मांग की। जब तक गर्भ में शिशु 28वें सप्ताह में प्रवेश कर चुका था। उसकी मां का कहना था कि उसकी बेटी के साथ अत्याचार हुआ हुआ है। किशोरी बहुत सदमे में है। साथ ही महज पंद्रह वर्ष की होने के कारण वह नवजात बच्चे की जिम्मेदारी उठाने में भी सक्षम नहीं है। ऐसे में गर्भपात की अनुमति प्रदान की जाए।
यह हुआ हाईकोर्ट में
हाईकोर्ट ने पीड़िता के गर्भ को लेकर जलगांव मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों की रिपोर्ट तलब की। इस रिपोर्ट में डॉक्टरों ने गर्भपात को सहीं नहीं ठहराया। उनका कहना था कि अब बच्चा पैदा होने में महज 12 सप्ताह ही शेष है। ऐसे में गर्भपात करना उचित नहीं होगा। सभी पहलू पर विचार करने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में गर्भपात की अनुमति प्रदान करना उचित नहीं होगा। यदि पीड़िता व उसकी मां चाहे तो इस बच्चे को किसी अनाथालय को सौंपा जा सकता है। हाईकोर्ट ने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों से पीड़िता का पूरा ध्यान रखने का आदेश दिया। वहीं आदेश में कहा गया कि अच्छे डॉक्टर से प्रसव कराया जाए। वहीं एक मनोरोग विशेषज्ञ महिला डॉक्टर से पीड़िता की मीटिंग कराई जाए।

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