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भोपालगढ़: देवरी धाम भोलाराम महाराज का जीवित समाधि स्थल जन जन की आस्था का केंद्र है

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भोपालगढ़ । लोकसंत सदगुरु भोलाराम महाराज जैसे परम वितरागी संत की साधना व समाधि स्थल का नाम ही देवरीधाम है।

लोकसंत सदगुरु भोलाराम महाराज की जीवित समाधि स्थल देवरीधाम जो जोधपुर जिले के रतकूड़िया गांव की पहाड़ी पर स्थित है। यह पवित्र भूमि पूर्व में भी किसी महान संत की तपस्या स्थली रही थी जिसको संत भोलाराम महाराज ने भजन करके इस भूमि को पुनः जागृत कर आत्मचिंतन का केंद्र व आस्थाशीलों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल बना दिया गया है। इस पवित्र देवरीधाम का वर्तमान इतिहास मात्र लगभग 90 वर्ष का ही है। इस अल्प अवधि में यह स्थली धार्मिक पर्यटन स्थल का रूप ले चुका है। यहां पर भोलाराम महाराज की साधना व जीवित समाधि स्थल के कारण मुख्य पीठ यही है। कबीर पंथ के प्रचार प्रसार की दृष्टि से यह देवरीधाम सतगुरु कबीर मंदिर काशी कबीर चौरामठ मूलगादी वाराणसी से जुड़ा हुआ है। सद्गुरु भोलाराम महाराज का जन्म भोपालगढ़ के पास ही स्थित गुर्जरों की ढाणी के रामूराम भाटी गुर्जर के यहां हुआ था। एक दिन रामूराम भाटी पहाड़ पर अपनी भेड़ बकरियां चरा रहे थे, तभी परम प्रभु की अद्भुत लीला हुई। एक संत ने रामूराम भाटी को दर्शन दिए और कहा कि 9 महीने बाद तुम्हारी पत्नी की कोख से जगत के जीवों का उद्धार करने वाला एक पुत्र जन्म लेगा। इतना कहकर संत अंतर्ध्यान हो गए व संतों के कहे वचनानुसार चैत्र सुदी पंचमी विक्रम संवत 1922 को प्रातःकाल रामूराम भाटी की धर्मपत्नी रूपी की कोख से सद्गुरु भोलाराम महाराज का इस मृत्युलोक की धरा पर पदार्पण हुआ। सद्गुरु भोलाराम महाराज जन्म से ही अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के अच्छे खोजी थे। आप अपने खेत में खेती करते और खेती से प्राप्त अनाज को दीन दुखियों में बांट देते थे तथा साथ ही भगवान का भजन करने में लीन हो जाते थे। इस तरह आपकी ख्याति चहूँओर फैलने लगी। इसी प्रकार परोपकार व भगवान का भजन करते हुए एक दिन सद्गुरु भोलाराम महाराज का विचार समाधि लेने का हुआ। उन्होंने अपने शिष्यों को यह बात बताई और उन्हें देवरी मचाल पर स्थित कैर के वृक्ष के नीचे पश्चिम दिशा में समाधि खोदने का आदेश दिया। समाधि खुदने के बाद नियत समय पर प्रमुख शिष्यों की उपस्थिति में आपने विक्रम संवत 1992 चैत्र सुदी ग्यारस को सांय चार बजे 70 वर्ष की अवस्था में जीवित समाधि लेकर जीवों के उद्धार का प्रतितीर्थ बना दिया। तब से लेकर आज तक लाखों करोड़ों लोगों ने इस समाधि स्थल का दर्शन कर अपने को धन्य बनाया है। साथ ही समाधि स्थल देवरीधाम से पूर्व दिशा की तरफ तीखी पहाड़ी पर सिद्ध संत भूरिया बाबा का स्थान आया हुआ है। यह स्थान काफी पुराना है व तीखी पहाड़ी पर स्थित एक चट्टान पर बावजी के पगलिये स्वत: अंकित हैं। साथ ही देवरीधाम पर भोलारामजी महाराज के शिष्य घमंडीराम महाराज व बस्तीराम महाराज की गुमटियां भी बनी हुई है तथा सत्संग करने के लिए विशाल सत्संग भवन बना हुआ है। देवरीधाम की ओर से सद्गुरु भोलाराम महाराज रूपरजत गौशाला का संचालन भी किया जा रहा है जिसमें सैंकड़ों गौमाता की सेवा की जाती है। देवरीधाम पर वर्तमान पीठाधीश्वर महंत रमैयादास महाराज व उत्तराधिकारी युवाचार्य रामदास शास्त्री की कर्तव्यनिष्ठ भावना से उनके नक्शे कदम पर चल रहे हैं।

भोलाराम महाराज की जीवित समाधि स्थल देवरीधाम आज पर्यटन स्थल का रूप ले चुका है।

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