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#BJP-2018: दावा मूल OBC के प्रतिनिधित्व का, हकीकत: मारवाड़ के 26 में से 22 प्रत्याशी सिर्फ 6 समाज से! ओबीसी शून्य

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– जबकि, तकरीबन सभी विधानसभा सीटों पर सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार ही ओबीसी वोटर्स का औसत 55-65% तक

– मारवाड़ की कुल 33 विधानसभा सीटों का विश्लेषण, भाजपा ने कहां-किस समाज को साधा, शेष किसके भरोसे?

कमल वैष्णव. जोधपुर

पश्चिमी राजस्थान यानि मारवाड़। जिसे भाजपा का गढ़ भी माना जाता रहा है और भाजपा यानि मूल ओबीसी का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाली पार्टी। इसी पार्टी में मूल ओबीसी को कितनी अहमियत दी जाती है, इसके लिए हमने मारवाड़ की राजनीति, प्रतिनिधित्व का विश्लेषण किया, तो चौंकानी वाले तथ्य सामने आए। क्योंकि, गत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने टिकट वितरण में सर्वाधिक तवज्जो दी गैर ओबीसी जाति के प्रत्याशियों को। जबकि, सरकारी रिकॉर्ड भी तकरीबन सभी विधानसभा सीटों पर औसतन 55 से 65% प्रतिशत ओबीसी वोटर्स बताए जाते हैं।

मारवाड़ में कुल 33 विधानसभा सीटें हैं और इनमें से 7 एससी/एसटी के लिए आरक्षित है। यानि, शेष 26 सीटें ओबीसी सहित सामान्य वर्ग के लिए बचती हैं। इन पर प्रत्याशियों का चयन करते वक्त भाजपा किस तरह सोशल इंजीनियरिंग का ख्याल रखती रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 26 सीटों में से 22 सीटों पर भाजपा ने सिर्फ 6 जाति के प्रत्याशी ही चुने, जो सभी गैर ओबीसी कैटेगरी से थे। हैरानी की बात तो ये भी है कि इन 22 में से 9 प्रत्याशी तो अकेले राजपूत समाज के ही थे, वहीं 4 पर पटेल, 3 पर जाट और 6 सीटों पर बिश्नोई, जैन और ब्राह्मण समाज के 2-2 प्रत्याशी खड़े किए गए थे।

राजपूत – 9 प्रत्याशियों में से जीते सिर्फ 3

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मारवाड़ की 9 सीटों पर राजपूत प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गए थे, लेकिन इनमें से सिर्फ 3 ही चुनाव में जीत हासिल कर पाए। भाजपा ने शेरगढ़, लोहावट, सरदारपुरा, पोकरण, जैसलमेर, बाली, रानीवाड़ा, सिवाना और शिव विधानसभा से राजपूत प्रत्याशी खड़े किए थे। इनमें से सिर्फ बाली, रानीवाड़ा और सिवाना की सीटें ही भाजपा के खाते में आईं। शेष में हार का सामना करना पड़ा था।

एक-दूसरे से जुड़े क्षेत्र, सभी में शिकस्त

मारवाड़ की लोहावट सीट शेरगढ़ से सटी हुई है, वहीं शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के ठीक नजदीक पोकरण विधानसभा क्षेत्र है। पोकरण विस क्षेत्र से सटी है जैसलमेर और जैसलमेर से सटी है शिव विधानसभा सीट, लेकिन चौंकाने वाला तथ्य ये भी है कि इन सभी सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।

पटेल : चार पर प्रत्याशी बनाया, जीत सिर्फ एक को

सबका साथ सबका विकास की बात कहने वाली पार्टी ने गत चुनावों में पटेल समाज के 4 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें लूणी, पचपदरा, भीनमाल और सांचौर सीट से चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रत्याशियों में से सिर्फ भीनमाल पर ही जीत मिली, जबकि लूणी, पचपदरा और सांचौर में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी।

जाट : तीन विस पर प्रत्याशी बनाया, तीनों ही हारे

भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2018 में मारवाड़ की तीन विधानसभा क्षेत्र ओसियां, बायतू और बाड़मेर से जाट समाज के प्रत्याशी खड़े किए थे, लेकिन इनमें से एक को भी जीत नसीब नहीं हुई।

बिश्नोई : 2 टिकट दिए, एक जीते, दूसरे हारे

गत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फलोदी और गुढ़ामालानी क्षेत्र से बिश्नोई समाज से आने वाले प्रत्याशियों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन इनमें से फलोदी से ही जीत मिली, जबकि गुढ़ामालानी से भाजपा को शिकस्त खानी पड़ी।

जैन व ब्राह्मण समाज से 2-2 प्रत्याशी, तीन जीते

भाजपा ने पाली और जोधपुर शहर से जैन समाज के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे, लेकिन इनमें से पाली से ही भाजपा को जीत मिली, जबकि जोधपुर शहर से हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह, ब्राह्मण समाज से सूरसागर और आहोर से चुनाव लड़ने वाले दोनों ही प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे।

4 सीट पर 4 समाज को साधने की कोशिश, दो जीते, दो हारे

भाजपा ने मारवाड़ जंक्शन से सीरवी, जैतारण से माली, सुमेरपुर से कुमावत (कुम्हार) और सिरोही से देवासी समाज को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया था। इनमें से सिर्फ जैतारण और सुमेरपुर से ही भाजपा को जीत मिल पाई, जबकि मारवाड़ जंक्शन और सिरोही से भाजपा प्रत्याशी चुनाव हार गए।

ये भी पढ़ें…#Congress-2018 : मारवाड़ की 26 विधानसभा सीटों से दिए 14 जातियों को प्रतिनिधित्व, 14 जीते

अबकी बार – चुनौतियां अपार

भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही अपनी पहली सूची जारी कर शुरुआती दौर में ही लीड लेने का प्रयास किया, लेकिन उसमें उभरे असंतोष के स्वर इस कदर बिखराव पैदा करने वाले साबित होंगे, ये शायद पार्टी ने सोचा भी नहीं था। संभवतया उसी का परिणाम है कि अब पार्टी बहुत ही ज्यादा सावधानी बरतते हुए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने से पहले ही संभावित असंतोष के स्वर को पहले ही कंट्रोल करने की कवायद में जुटी नजर आ रही है। वहीं, भाजपा के कोर वोट बैंक मूल ओबीसी की लगातार हो रही अनदेखी भी पार्टी के लिए चिंता का सबब बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि हर समाज, हर वर्ग को साधने के पुख्ता बंदोबस्त पहले ही कर लिए जाएं। हालांकि, इसका खुलासा तो आने वाले दिनों में प्रत्याशियों की सूची जारी होने पर ही हो पाएगा।

#BJP-2018: Claim of representation of original OBC (OBC), reality: Candidates on 22 out of 26 seats of Marwar belong to only 6 communities! OBC among these

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