जोधपुर. जोधपुर जिले के लोहावट में चुनावी हलचल शुरू होते ही यहां से दो बार विधायक चुने जा चुके गजेन्द्रसिंह खींवसर का विरोध शुरू हो गया है। बाहरी बनाम स्थानीय के नाम पर अब भाजपा के कई स्थानीय नेताओं ने पार्टी की ओर से प्रदेश में चलाए जा रहे अभियान नहीं सहेगा राजस्थान की तर्ज पर नहीं सहेगा लोहावट का नारा बुलन्द करना शुरू किया है। इस अभियान को लेकर आयोजित बैठक भी अलग-अलग आयोजित की गई। इससे स्पष्ट हो गया कि लोहावट में इस बार टिकट वितरण से पहले जोरदार घमासान देखने को मिलेगा। लोहावट के पूर्व प्रधान और खींवसर के धुर विरोधी भागीरथ बेनीवाल ने उनके खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है।
पार्टी में गुटबाजी
गहलोत सरकार के खिलाफ इन दिनों भाजपा पूरे प्रदेश में नहीं सहेगा राजस्थान के नाम से एक अभियान चला बैठकों का आयोजन कर रही है। इन बैठकों के माध्यम से राज्य सरकार की नीतियों को लेकर हमला बोला जा रहा है। इस कड़ी में 26 जुलाई को लोहावट में बैठक आयोजित की गई। जम्बेश्वर स्टेडियम में आयोजित मुख्य समारोह पोकरण से चुनाव लड़ चुके प्रताप पुरी की अगुवाई में आयोजित की गई। इसमें बड़ी संख्या में पार्टी नेता व कार्यकर्ता उपस्थित हुए। जबकि खींवसर इस बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने अपने कुछ समर्थकों की एक समानान्तर बैठक अम्बेडकर चौराहे के समीप ली। इससे जाहिर है कि भाजपा को गुटबाजी का सामना करना पड़ेगा।
बाहरी बनाम स्थानीय
क्षेत्र में दबंग माने जाने वाले पूर्व प्रधान भागीरथ बेनीवाल ने अपने भाषण के दौरान साफ कहा कि नहीं सहेगा लोहावट में बाहरी नेतृत्व। पार्टी के लोग बाहरी नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे। क्या बाहर के लोग आकर लोहावट में भाजपा का नेतृत्व करें। भाजपा का नेतृत्व स्थानीय हो। चाहे किसी जाति का हो। लोहावट नहीं सहेगा अब। बाहर के आते है और आकर चले जाते है। उनको कुछ पता नहीं नक्शे में देखते है। उन्होंने सीधे तौर पर खींवसर का नाम नहीं लिया, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से उनका हमला सीधे खींवसर पर ही था। वे इस क्षेत्र में बाहरी माने जाते है।
ये है लोहावट का इतिहास
परिसीमन के बाद वर्ष 2008 में लोहावट विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ। नागौर जिले के खींवसर निवासी व वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले गजेन्द्र सिंह खींवसर यहां से दो बार विधायक चुने गए। वहीं गत चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। खींवसर लोहावट क्षेत्र में लगातार सक्रिय नजर आते है।
ये है जातीय समीकरण
लोहावट में विश्नोई व राजपूत मतदाता बराबर संख्या में है। जबकि इनसे थोड़े कम जाट मतदाता है। वहीं एससी मतदाताओं के बाद करीब पंद्रह हजार मुस्लिम मतदाता भी है। कांग्रेस जाटों के कुछगांव में मजबूत पकड़ के दम पर खींवसर दो बार बाजी मार गए। गत चुनाव में स्थानीय मसलों के कारण जातीय समीकरण पूरी तरह से बदल गए और इसका खामियाजा खींवसर को उठाना पड़ा। अब राजपूत समाज के कुछ स्थानीय नेता भी अपनी दावेदारी जता रहे है। स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे ने यदि तूल पकड़ा तो कींवसर के लिए राह बेहद मुश्किल हो सकती है।