– ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले लोगों के चालान काट वसूली गई राशि बैंक में जमा कराने में हुई धांधली
– पुलिस मुख्यालय से फोन आया तो मची खलबली, पूर्व कैशियर के खिलाफ केस दर्ज, गिरफ्तार आरोपी तीन दिन के रिमांड पर
कमल वैष्णव. जोधपुर। जोधपुर पुलिस और ट्रैफिक पुलिस दिन-रात सड़कों पर यातायात नियमों को तोड़ने वालों के चालान काटकर जुर्माना राशि वसूलती है, लेकिन यही राशि कमिश्नर कार्यालय में पहुंचने से लेकर बैंक में जमा कराने में धांधली करते हुए 43.87 लाख रुपए का गबन करने का मामला सामने आया है। इसका खुलासा भी तब हुआ, जब पुलिस मुख्यालय से इस संबंध में एक फोन आया, तब पूरे कमिश्नर में खलबली मच गई। अब मौजूदा कैशियर की ओर से सरदारपुरा थाने में पूर्व कैशियर के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर तीन दिन के रिमांड पर लिया है।
दरअसल, पुलिस कमिश्नर कार्यालय के कैशियर प्रवेंद्रसिंह ने सरदारपुरा थाने में रिपोर्ट दी है। इसमें बताया गया कि लोगों के चालान काटकर वसूली गई जुर्माना राशि उनके पास पहुंचती है। वे इसे यातायात शाखा के कांस्टेबल दिनेश कुमार या राकेश कुमार के माध्यम से जालोरी गेट स्थित एसबीआई में आरटीओ रेवेन्यू हैड में राजकोष में जमा करवाते हैं। हर महीने इस राशि के हिसाब की रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भी भेजी जाती है। इसी तरह, आरटीओ ऑफिस द्वारा भी पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाती है।
पीएचक्यू से आए फोन से मची खलबली
एफआईआर के अनुसार गत 28 अगस्त को कैशियर सिंह के पास पुलिस मुख्यालय से फोन आया और बताया गया कि मई-जून की मासिक रिपोर्ट में दर्शायी गई राशि और इसी अवधि की आरटीओ ऑफिस की रिपोर्ट में काफी अंतर है। इस पर कैशियर सिंह ने आरटीओ ऑफिस जाकर वहां से डाटा का पुलिस के डाटा से मिलान किया। तब पता चला कि मई, जून, जुलाई और अगस्त के दरम्यान जमा कराई गई राशि में चार चालान की राशि बैंक के खाते में जमा ही नहीं हुई है।
चार चालान में 43.87 लाख की राशि गायब
पुलिस के अनुसार चार ऐसे चालान, जिनकी राशि बैंक में जमा नहीं कराई गई थी। इनमें 12,72,800 + 11,63,800 + 11,05,300 और 8,44,600 रुपए सहित कुल 43 लाख 86 हजार 500 रुपए न तो बैंक खाते में ही जमा हुए और न ही पुलिस के कैश बैलेंस में ही थे। चूंकि, जुलाई 2019 से लेकर जुलाई 2022 तक कैशियर के रूप में हेमंत पालावत पुलिस कमिश्नर कार्यालय में कार्यरत थे, इसलिए उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
चालान पर लगी सील व साइन भी फर्जी!
रिपोर्ट के अनुसार कैशियर सिंह ने इस गड़बड़ी का पता चलने पर उन्होंने एसबीआई जालोरी गेट में जाकर उप प्रबंधक से जानकारी ली। तब उन्हें बताया गया कि मई, जून, जुलाई और अगस्त 2023 को जिन जमाकर्माओं के नाम चालान पर अंकित है, वे या तो बैंक में उस दिन उपस्थित ही नहीं थे, या उनका पदस्थापन ही यहां नहीं था। यानि, चालान पर लगी सीलें भी प्रथमदृष्टया फर्जी है।