नारद जोधपुर। गृह मंत्रालय चार वर्ष पूर्व भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच संसद में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम(सीएए) के नियम व उपनियम अभी तक तय नहीं कर पाया है। गृह मंत्रालय ने नियमों को लागू करने के लिए एक बार फिर एक बार समय विस्तार मांगा गया है। यह आठवां अवसर है जब इस तरह से समय विस्तार मांगा गया। राजस्थान में करीब 35 हजार पाक विस्थापित टकटकी लगाए इस कानून के लागू होने का इंतजार कर रहे है ताकि उनको भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता सुगम हो सके।
सीएए वर्ष 2019 के अंत में संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है। इसके अगले दिन राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दे दी थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने सीएए को अधिसूचित कर दिया था। हालांकि, सीएए को लागू किया जाना अभी बाकी है, क्योंकि इसके प्रावधान नहीं तैयार हो पाए।किसी भी कानून के क्रियान्वयन के लिए उसके प्रावधान तय करना जरूरी है। संसदीय कार्य से जुड़ी नियमावली के मुताबिक, किसी भी कानून के प्रावधान राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से समय सीमा में विस्तार की मांग की जानी चाहिए।
बताया जा रहा है कि यह एकमात्र एक्ट है जिसके नियम तय होने में इतना समय लग रहा है। इस एक्ट को पास कराने के बाद से केन्द्र सरकार कई अन्य एक्ट संसद से पास करवा चुकी है और वे कानून बन चुके है यानि उनके नियम उप नियम तय हो गए और वे लागू भी हो गए।
पता नहीं क्यों हो रहा इतना विलम्ब
पाक विस्थापितों के पुनर्वास के लिए अहम भूमिका निभाने वाले सीमांत लोक संगठन के संस्थापक हिन्दू सिंह सोढ़ा का कहना है कि वर्तमान में अभी तक वर्ष 1955 में बने नियमों के तहत ही नागरिकता प्रदान की जा रही है। इसकी विसंगतियों को दूर भी नहीं किया गया। वादा किया गया था कि सीएए लागू होने के बाद सारी प्रक्रिया बेहद सरल हो जाएगी, लेकिन पता नहीं क्यों अभी तक इसके नियम उप नियम तक तय नहीं हो पा रहे है।
यह थी योजना
सीएए के तहत मोदी सरकार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का शिकार रह चुके उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई) को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहती है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे। मई 2021 में केंद्र सरकार ने उपरोक्त तीन देशों के हिंदू, मुस्लिम, जैन, पारसी, ईसाई और बौद्ध समुदाय के लोगों को देश की नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति दी थी। हालांकि, आवेदन नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत मांगे गए थे क्योंकि संशोधित अधिनियम से संबंधित नियमों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों को इस अधिनियम से छूट प्रदान की गई थी। संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों और अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड और मणिपुर राज्यों में यह कानून लागू नहीं होगा।
हुआ था जोरदार विरोध
सीएए को लागू करने से पूर्व दिल्ली में जोरदार विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हुआ ता। यह विरोध प्रदर्शन काफी लंबा चला और इसने सभी का ध्यान आकर्षित किया था। बाद में कोरोना फैलने के कारण यह विरोध प्रदर्शन भी थम गया।
#CAA: Not implemented yet, rules not fixed, waiting for 35 thousand displaced people to get citizenship