– करीब 6 महीने पहले खरीद में हुआ था घोटाला, तत्कालीन संचालनकर्ता टीम के खिलाफ होगी कार्रवाई
नारद जोधपुर। कहने को तो जोधपुर में तकरीबन 312 टेक्सटाइल और 94 स्टील इकाइयों से हर रोज निकलने वाला लगभग डेढ़ करोड़ लीटर प्रदूषित पानी ट्रीटमेंट किया जा रहा है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है, क्योंकि दिखावे के आंकड़ों से इतर ट्रीटमेंट यानि CETP (Common Effluent Treatment Plants) तो लगा है, लेकिन इसके संचालन के नाम पर तकरीबन 4 करोड़ रुपए का घोटाला होने की प्रारंभिक जानकारी सामने आ रही है। प्रारंभिक स्तर पर अनियमितताएं उजागर होने पर कलेक्टर हिमांशु गुप्ता ने स्थानीय पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के अफसरों को इस मामले में इतने समय तक कोई भी एक्शन नहीं लेने पर फटकार लगाने के साथ ही CETP में घोटाला करने वाली तत्कालीन टीम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए हैं। यानि, अब ट्रीटमेंट के नाम पर धांधली करने वालों का ही ट्रीटमेंट होने की उम्मीद जगी है। उल्लेखनीय है कि प्रशासनिक समिति की ओर से की गई जांच में सीईटीपी में वित्तीय अनियमितताएं पाई गई थी। इसकी रिपोर्ट प्रशासन को कुछ दिन पहले ही मिली थी। ट्रस्ट का संचालन करने वाली तत्कालीन कमेटी को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
CETP का संचालन जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट के जिम्मे, वर्ष 1999 में हुआ था गठन
जोधपुर शहर के सांगरिया इलाके में 9 एकड़ में 20 एमएलडी क्षमता वाले सीईटीपी की स्थापना की गई थी। इसका संचालन की जिम्मेदारी जोधपुर प्रदूषण निवारण ट्रस्ट यानि JPNT को सौंपी गई थी। प्लांट में टेक्सटाइल फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी में से 18 एमएलडी तथा स्टील फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषित पानी में से 2 एमएलडी ट्रीट करने की क्षमता है। हाल ही में सरकार ने इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए 50 करोड़ तथा एक और नया सीईटीपी स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है।
बिना अनुमोदन के केएलडी स्थानांतरण अवैध
कलेक्टर गुप्ता ने आरपीसीबी की क्षेत्रीय अधिकारी शिल्पी शर्मा को निर्देशित किया कि जिन इकाइयों ने बिना डीएमसी अनुमोदन के केएलडी का स्थानांतरण किया है, उन्हें अवैध घोषित कर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए।