– टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिंग के मामले में भाजपा से ज्यादा समाजों को कांग्रेस ने साधा था
बड़ा सवाल : इस बार दोनों पार्टियों में किसकी गणित रहेगी सटीक?
कमल वैष्णव. जोधपुर
पश्चिमी राजस्थान यानि मारवाड़, कहने को तो भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन विधानसभा चुनाव-2018 में इसी मारवाड़ से कांग्रेस ने बाजी मारी थी। इसके लिए कांग्रेस ने मारवाड़ की 26 सामान्य वर्ग की विधानसभा सीटों पर 14 जातियों के प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था और इनमें से 14 प्रत्याशी जीते थे। यानि, भाजपा के मुकाबले कांग्रेस ने टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिंग का खास ख्याल रखा और इसका फायदा भी कांग्रेस को मिला था। हालांकि, विधानसभा चुनाव-2023 में भाजपा और कांग्रेस के बीच टिकट वितरण में सोशल इंजीनियरिंग की अहम भूमिका रहने की संभावना बरकरार है, लेकिन कौन किस हद तक इसमें सफल रहता है, ये टिकट वितरण होने पर ही सामने आएगा।
मारवाड़ की राजनीति में कांग्रेस द्वारा पिछले विधानसभ चुनाव में किस समाज को कितनी अहमियत दी गई थी, इसका आंकलन टिकट वितरण से लेकर चुनाव परिणाम तक से स्पष्ट और सर्वविदित भी है। उन्हीं आंकड़ों का विश्लेषण करने पर सामने आया कि मारवाड़ में कुल 33 विधानसभा सीट में से एससी/एसटी के लिए आरक्षित 7 सीटों को छोड़ दें, तो शेष 26 सीटें सामान्य वर्ग के लिए बचती हैं। इन पर प्रत्याशियों का चयन करते वक्त कांग्रेस ने 26 सीटों में से 4-4 प्रत्याशी राजपूत व जाट समाज से, तो 3-3 उम्मीदवार मुस्लिम व विश्नोई समाज से और 2-2 प्रत्याशी कुम्हार तथा ब्राह्मण समाज से चुनाव मेदान में उतारे। जबकि, शेष सीटों पर जैन, रावणा राजपूत, देवासी, वैष्णव, सीरवी, पटेल, माली समाज के 1-1 प्रत्याशियों के अलावा एक सामान्य सीट पर भी एससी वर्ग के प्रत्याशी को टिकट देने से परहेज नहीं किया था।
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जाति-समाज को साधने पर रहा था जोर
कहने को तो कोई भी राजनीतिक दल प्रत्यक्ष रूप से जातिवाद से दूर रहने का दावा करते हैं, लेकिन चुनाव में हर जाति-समाज को साधने का हरसंभव प्रयास करते हैं। गत विधानसभा चुनाव में मारवाड़ की गणित साधते हुए कांग्रेस ने शेरगढ़, भीनमाल, बाली और सिवाना से रजपूत समाज को प्रतिनिधित्व का मौका दिया था। इनमें बाली सीट पर गठबंधन के सहयोगी एनसीपी को दी गई थी। इन चार राजपूत प्रत्याशियों में से सिर्फ एक शेरगढ़ सीट पर ही कांग्रेस को जीत मिली थी। इसी तरह, जैतारण, गुढ़ामालानी, बायतू और ओसियां से जाट समाज के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे और इनमें से जैतारण को छोड़कर तीनों सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। वहीं, लूणी, लोहावट और सांचोर से विश्नोई समाज को प्रतिनिधित्व का मौका मिला और तीनों ही केंडिडेट जीते भी, जबकि, सूरसागर, पोकरण और शिव विधानसभा क्षेत्र से मुस्लिम समाज को प्रतिनिधित्व का मौका दिया गया और इनमें से सूरसागर पर हार, तो बाकी दोनों सीटें कांग्रेस की झोली में आई।
मूल ओबीसी वर्ग को 6 सीटों पर मिला था मौका
गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिरोही और पचपदरा से कुम्हार प्रत्याशियों को टिकट दिए। इनमें सिरोही से हार, तो पचपदरा से जीत मिली थी। इसी तरह, पाली और फलोदी से ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी खड़े किए गए थे, लेकिन दोनों ही चुनाव हार गए। वहीं बाड़मेर से जैन समाज से आने वाले प्रत्याशी को जीत मिली। इसी तरह, जोधपुर शहर विस क्षेत्र से रावणा राजपूत समाज को प्रतिनिधित्व का मौका मिला और जीत भी हासिल हुई थी। कांग्रेस ने सुमेरपुर से वैष्णव, रानीवाड़ा से देवासी, मारवाड़ जंक्शन से सीरवी और आहोर से पटेल समाज के प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे थे, लेकिन इनमें से किसी को भी जीत नसीब नहीं हुई। सरदारपुरा से माली समाज और जैसलमेर से सामान्य सीट पर भी मेघवाल समाज को प्रतिनिधित्व का मौका मिला और दोनों ही प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।
##Congress-2018: Representation given to 14 castes from 26 assembly seats of Marwar, 14 won