नारद लूणी। शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ के शिष्य दंडी स्वामी स्वामी शंकरानंद महाराज ने कहा कि धर्म के अनुसरण से पापों का समूल नष्ट होना तय हैं, इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन में सदैव धर्म का अनुसरण करना चाहिए। वे जोधपुर जिले के लूणी विधानसभा क्षेत्र के धुंधाड़ा कस्बे के महालक्ष्मी मंदिर में चल रहे चातुर्मास के नियमित प्रवचन के दौरान धर्म प्रेमियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि धर्म से बड़ी कोई चीज नहीं हैं, क्योंकि धन मरने के बाद साथ नहीं चलता, बल्कि व्यक्ति के जीवन काल में धन की आवश्यकता जरूर होती हैं। लेकिन मरने पर तो उसके द्वारा किए गए संचित कर्म व धर्म परायण होकर मौन मुख पक्षियों एवं दीन दुखियों व गरीबों की दिल से की हुई सेवा ही साथ चलती हैं। ऐसे में व्यक्ति को कभी भी गरीब, असहाय, शोषित या पीडि़त व्यक्ति का दिल नहीं दुखाना चाहिए। स्वामी शंकारानंद महाराज ने कहा कि गृहस्थ जीवन का पालन करना सबसे ऊपर हैं, क्योंकि एक गृहस्थी अपने धन के द्वारा धर्म को जीवित रखता हैं, इसलिए गृहस्थ जीवन सर्वोपरि हैं तथा व्यक्तियों को अपने गृहस्थ जीवन का पालन धर्म परायणता से करना चाहिए।
इससे पूर्व स्वामी जी का धर्म प्रेमियों ने पूजन कर आशीर्वाद लिया। प्रवचन के दौरान धुंधाड़ा कस्बे के अलावा झाब से आए श्रीमाली समाज के लोगों ने भी स्वामी जी का पूजन किया। इस अवसर पर श्रीमाली समाज के अध्यक्ष डॉ. संतोष दवे, चंद्रशेखर दवे, ललित वेदिया, नरेश श्रीमाली गोपाल सिंह, गजेंद्र श्रीमाली, दीपा शंकर श्रीमाली, होतव्य प्रकाश दवे, भूपेंद्र द्विवेदी व कमलेश दवे सहित बड़ी संख्या में समाज के बंधु एवं धर्म प्रेमी उपस्थित थे।