जोधपुर। आई.सी.एम.आर- राष्ट्रीय असंचारी रोग कार्यान्वयन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर में सोमवार को हिन्दी पखवाडा कार्यक्रमों के अंतर्गत पूर्ण दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जोधपुर के जाने माने साहित्यकार डॉ. हरिदास व्यास को आमंत्रित किया गया। संस्थान के वैज्ञानिक ‘सी‘ एवं राजभाषा प्रभारी डॉ. रमेश कुमार हुडा ने अतिथि महोदय का स्वागत किया और उनका परिचय दिया।
डॉ. हरिदास व्यास ने अपने संबोधन में संस्थान के समस्त स्टाफ को हिन्दी में अपना कार्य जारी रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा हमारी विरासत है। उन्होंने बताया कि नासा के वैज्ञानिकों ने भी माना है कि संस्कृत और हिन्दी भाषाओं में सबसे सरलतापूर्वक डिकोडिंग की जा सकती है। उन्होंने याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र में पहली बार हिन्दी में का प्रयोग पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वालपेयी ने किया और अब वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ‘जी-20‘ कार्यक्रम एवं दुनिया भर के अनेक देशों में अपने संबोधन हिन्दी में दे रहे हैं। उन्हांेने बताया कि हिन्दी में अन्य भाषाओं के शब्द समाहित किए गए हैं। इससे भाषा समृद्ध ही होती है। जब रूस में हडताल हुई तो उन्होंने भारत की पुलिस से हडताल से निबटने के लिए सहायता मांगी। आज रूसी भाषा में लाठी और घेराव शब्दों को यों तो त्यों अपना लिया गया है। डॉ. व्यास ने वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों का अनुवाद ना करके उन्हें देवनागरी में लिखे जाने पर बल दिया। संस्थान की अनुवाद अधिकारी डॉ. कंचन बाला ने धन्यवाद अतिथि महोदय और उपस्थ्ति जनों को ज्ञापित किया।
इससे पहले आज की प्रातःकालीन सभा में संस्थान की अनुवाद अधिकारी डॉ. कंचन बाला ने संस्थान के समस्त स्टाफ को ‘कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग‘ विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत उन्होंने युनिकोड, अनुवाद, युनिकोड और कृतिदेव फोट में किए गए कार्य का फेर-बदल और वाॅइस टाइपिंग के बारे में बताया।
Hindi workshop organized in ICMR