प्रवीण धींगरा
जोधपुर। राज्य सरकार ने प्रदेश के 44 नए वेडलैंड्स घोषित किए हैं, जिनमें जोधपुर के कायलाना झील व सूरपुरा बांध को भी शामिल किया गया है। इन दोनों जगह के वेटलैंड घोषित होने से यहां कई तरह के प्रतिबंध लागू हो जाएंगे। इन जलीय जगहों को प्रवासी पक्षियों, वन्यजीवों, वनस्पितयों और जीवों के लिए संरक्षित कर दिया गया है। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार नए घोषित हुए वेटलैंड्स की सीमा में अब किसान खेती नहीं कर सकेंगे तो यहां ठोस व गीला कचरा, वाणिज्यिक उपयोग के लिए पानी दोहन करना, पोचिंग इत्यादि गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। सरकार ने अलग-अलग शेड्यूल के तहत तय किया है कि इन जगहों पर क्या होगा, क्या नहीं और क्या अनुमति के साथ किया जा सकेगा। इन नियमों का उल्लंघन होने पर आद्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
शेड्यूल-II में ये गतिविधियां होंगी गैरकानूनी
किसी भी प्रकार का अतिक्रमण, गैर आर्द्रभूमि उपयोगों के लिए रूपांतरण, नये उद्योग की स्थापना एवं मौजूदा उद्योगों का विस्तार, निर्माण सामग्री का भंडारण, अपशिष्ट का निस्तारण, खतरनाक पदार्थ, खतरनाक रासायनिक का भंडारण, इलेक्ट्रॉनिक कचरे का निस्तारण, प्लास्टिक अपशिष्ट डालना, पचास मीटर के भीतर नाव घाटों को छोड़कर कोई भी स्थायी प्रकृति का निर्माण, वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन और क्रशिंग इकाइयाँ, वाणिज्यिक जल निष्कर्षण, बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक पशुधन की स्थापना और पोल्ट्री फार्म, जल निकाय का क्षेत्रफल/क्षमता कम करना, जनता द्वारा मछलियों और प्रवासी पक्षियों को खाना खिलाना और किसी भी प्रकार का अवैध शिकार करना।
शेड्यूल-II के तहत कैचमेंट व बफर एरिया में ये गतिविधियां होंगी प्रतिबंधित
अनुपचारित ठोस/तरल अपशिष्ट, निर्माण, इससे जुड़े जुड़ी सामग्री का भंडारण व निस्तारण, भूजल सहित वाणिज्यिक जल का दोहन, अवैध शिकार करना।
शेड्यूल III में नियमों के तहत अनुमत गतिविधियां
मत्स्य पालन, नावों का चलना, रेत का प्रबंधन, अस्थायी संरचनाओं का निर्माण, कतिपय प्रयोजनों के लिए जल निष्कर्षण।
शेड्यूल III के तहत कैचमेंट एरिया में अनुमत
किसी भी प्रकार के निर्माण हेतु भूमि का रूपांतरण, किसी नए उद्योग की स्थापना और मौजूदा उद्योगों का विस्तार, खनन।

वेटलैंड्स क्या हैं
वेटलैंड्स, यानी नमभूमि या आद्रभूमि। वैसी भूमि जो पानी से सराबोर हो। आसान भाषा में समझे तो जमीन का वह हिस्सा जहां पानी और भूमि का मिलन हो उसे वेटलैंड कहते हैं। सालभर या साल के कुछ महीने यहां पानी भरा रहता है। रामसर कन्वेंशन के तहत इसकी एक परिभाषा दी गई है। इसके अनुसार दलदली भूमि, बाढ़ के मैदान, नदियां, झीलें, मैंग्रोव, प्रवाल भित्तियां और अन्य समुद्री क्षेत्र जो कि कम ज्वार पर 6 मीटर से अधिक गहरे न हो, सब वेटलैंड्स की श्रेणी में आते हैं। साथ ही मानव निर्मित तालाब या अपशिष्ट-जल को उपचारित करने वाले तालाब या जलाशय भी इसमें शामिल हैं।
पूरी दुनिया में चल रहा वेटलैंड्स बचाने का अभियान
विश्वभर के 87 प्रतिशत वेटलैंड्स खत्म हो चुके हैं और यह सबह 1700 ईस्वी के बाद होना शुरू हुआ। 1970 के बाद दुनिया के 35 प्रतिशत वेटलैंड्स खत्म हो गए। भारत में एक तिहाई वेटलैंड्स शहरीकरण और कृषि भूमि के विस्तार की भेंट चढ़ गए। पिछले चार दशक में ही ऐसा हुआ है। जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी भी भारत में वेटलैंड्स खत्म होने की वजहों में से एक है। शहरों के आसपास कचरे के ढेर पहाड़ जैसे बनते जा रहे हैं जिससे वेटलैंड्स के पाटे जाने का खतरा बना रहता है। कई जलस्रोत अपशिष्ट जल के भरने की वजह से तबाह हो गए। प्राकृतिक संसाधनों के बेजा दोहन से भी जलीय जीवन खतरे में है।
अलग से बनाया गया प्राधिकरण
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत रामसर कन्वेंशन का हिस्सा है। दो फरवरी वर्ष 1971 में ईरान के शहर रामसर के कैस्पियन सागर तट पर यह कन्वेंशन आयोजित हुआ था। भारत के पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 में भी वेटलैंड्स के संरक्षण की बात की गई है। राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 भी पारिस्थितिक तंत्र के सरंक्षण में वेटलैंड की भूमिका पर बात करता है। इस नीति में ऐसे नियामक तंत्र या कहें रेगुलटरी बॉडी को स्थापित करने की बात की गई है जो वेटलैंड के संरक्षण का ख्याल रखें।
वर्ष 2017 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वेटलैंड्स संरक्षण और प्रबंधन नियम बनाये जो कि पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 के तहत किया गया। इन नियमों की मदद से वेटलैंड्स के प्रबंधन का तंत्र तैयार किया गया है। वर्ष 2020 की शुरुआत में सरकार ने इसके लिए दिशा निर्देश भी जारी किए। नेशनल वेटलैंड इन्वेंटरी एंड असेसमेंट (एनडब्लूआईए) ने रिमोट सेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर वेटलैंड्स की पहचान कर उन्हें इन नियम कायदों के तहत संरक्षित घोषित किया है। इसी के तहत राजस्थान में अलग से प्राधिकरण का भी गठन किया गया।