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एनडीए में शामिल होने को भाजपा नहीं साध पाई बेनीवाल को और टल गया मोदी का नागौर दौरा

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जोधपुर. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Modi) का नागौर(Nagaur) के खरनाल में प्रस्तावित दौरा फिलहाल टल गया है। मोदी का दौरा टलने के बारे में पार्टी स्तर पर कोई बयान नहीं आया, लेकिन इतना ही कहा जा रहा है कि वे 28 जुलाई को व्यस्त है। वहीं चर्चा है कि आरएलपी(RLP) सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल को एक बार फिर एनडीए(NDA) से जोड़ने की कवायद सिरे नहीं चढ़ पा रही है। बेनीवाल विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ना चाहते है। ऐसे में बेनीवाल(Beniwal) के गृह क्षेत्र में मोदी की बड़ी सभा करना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसे ध्यान में रख फिलहाल इस दौरे को टालना ही बेहतर समझा गया।
नहीं बनी वापसी की राह
इन दिनों भाजपा(BJP) देशभर में न केवल अपने पुराने साथियों को बल्कि कुछ नए साथियों को एनडीए में जोड़ने की कोशिश में जुटी है। एक दिन पूर्व ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने घोषणा की थी कि एनडीए में अब दलों की संख्या बढ़कर 38 हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार इसी कड़ी में बेनीवाल के साथ भी कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। बेनीवाल एनडीए में शामिल होकर अपनी ताकत को सीमित करने के पक्ष में नहीं है। एनडीए में जाने के बाद उन्हें भाजपा की ओर से देय सीटों पर ही चुनाव(election) लड़ना होगा। जबकि बेनीवाल पूरे राज्य में अपने प्रत्याशी उतारने की कोशिश में जुटे है। गत विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में हुए सभी उप चुनाव में आरएलपी अपनी ताकत दिखा चुकी है। ऐसे में बेनीवाल फिलहाल एनडीए से दूरी बनाकर चल रहे है। विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखा बेनीवाल उसके दम पर लोकसभा चुनाव में मौलभाव करने की तैयारी में नजर आ रहे है।
बेनीवाल के बगैर भीड़ जुटाना बड़ी चुनौती
नागौर जिले में बेनीवाल के समर्थन के बगैर किसी भी राजनीतिक दल के लिए भारी भीड़ जुटाना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। गत विधानसभा चुनाव के दौरान भी नागौर में मोदी की चुनावी सभा की टक्कर में बड़ी सभा आयोजित कर बेनीवाल लोगों पर अपनी पकड़ साबित की थी। सूत्रों के अनुसार ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार मोदी की सभा को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते। ताकि कम भीड़ होने पर प्रदेश में गलत मैसेज न जा पाए।
किसानों के मुद्दे पर बेनीवाल हुए थे एनडीए से अलग
दिल्ली में चले किसान आंदोलन के दौरान दिसम्बर 2020 में हनुमान बेनीवाल ने किसानों(Farmers) के समर्थन में एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी। हालांकि बाद में केन्द्र सरकार को झुकना पड़ा और किसान कानून को वापस लेना पड़ा। इसके बावजूद बेनीवाल अपनी पार्टी के एनडीए में वापसी से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा था कि हमने किसान के मुद्दे पर सत्ता को ठोकर मार दी थी। जब लोग सत्ता में जाने के लिए प्रयास कर रहे थे, ऐसे में मैं सत्ता छोड़कर आया।जो सरकार कल तक किसानों की बुराई कर रही थी, उन्हें किसानों की शक्ति के कारण ही कानून वापस लेने पड़े थे। अब जब कानून वापस हो गए हैं तो मैं किसानों के समर्थन में एमएसपी(MSP) के लिए लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हूं। उन्होंने आरोप लगाए थे कि केंद्र सरकार जिद्दी है लेकिन देश के किसानों ने दुनिया को बता दिया कि वो सरकार से ताकतवर हैं। इसीलिए सरकार को कानून वापस लेना पड़ा। बेनीवाल ने साफ कर दिया था कि वह किसी भी स्थिति में भाजपा के साथ वापस खड़े नहीं होंगे।

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