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जीवन मे कभी घमंड न करे , प्रशंसा भी पतन का कारण होता है :- कथावाचक शास्त्री

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भोपालगढ़।

शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन कथावाचक गोविंद गोपाल शास्त्री के द्वारा शिवजी की महिमा का वर्णन करते हुए मंत्रमुग्ध भजनों का श्रद्धालुओं को लाभ मिला। सभी को शास्त्री ने तीन चीजों से बचकर रहने का आह्वान किया ।कभी भी पराई स्त्री, अपनी प्रशंसा और धन से हमेशा दूर रहे और शिव की शरण में ही रहे ,कभी अपने जीवन में घमंड ना करे। भादवा की ढाणी में चल रहे शिव महापुराण कथा के दौरान रामस्नेही संप्रदाय रामधाम खेड़ापा के महंत पुरुषोत्तम दास महाराज व महंत भजनदास महाराज के सानिध्य में कथा वाचक गोविंद गोपाल शास्त्री ने कहा कि जब भी प्रशंसा हो तो उस जगह से हमें हट जाना चाहिए क्योंकि प्रशंसा भी पतन का कारण होता है। जब आपको मालूम चले कि कहीं आपकी बुराई हो रही है तो घर में जाकर शिवजी को दो दीपक और जलाना और यह महसूस करना कि आप सही रास्ते पर चल रहे हो। युवा संत सीताराम महाराज कुड़ी ने प्रवचन देते हुए संत जीवन का बखान करते हुए कहा कि गुरुदेव केवल रास्ता दिखाते हैं, मंजिल तक पहुंचाते हैं। जब कोई घर का बेटा विधायक, सांसद या मंत्री बने या फिर सचिव बने तो वो घर में समय नहीं दे पाता। उसका जीवन उन कामों में लग जाता है।ठीक वैसे ही साधु, संत, तपस्वी जब अपना जीवन शिव भक्ति में, कृष्ण भक्ति में, ईश्वर की भक्ति में लगा दे तो वह लोगों से दूर रहता है, क्योंकि अगर वह लोगों के बीच गया तो उसका ध्यान भक्ति में कैसे रहेगा, इसलिए उन्हें अकेला छोड़ देना चाहिए। इस दौरान बड़ी संख्या में क्षेत्र के महिला व पुरुष श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।

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