जोधपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब महज चार माह शेष है। राजनीतिक दलों ने चुनावी समर के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के लिए प्रदेश की 60 सीट बेहद चुनौती बनी हुई है। इन सीटों पर कांग्रेस लगातार तीन चुनाव हार चुकी है। प्रदेश में नई सरकार का सारा दारोमदार इन सीटों से तय होगा। कांग्रेस ने इन सीटों के लिए इस बार अलग रणनीति तैयार की है ताकि भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुकी इन सीटों में से कुछ को हथिया कर बढ़त बनाई जा सके। इन 60 सीटों में से 16 मारवाड़ की है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर की दो सीट शामिल है। कांग्रेस यहां पर काफी पहले अपने प्रत्याशी उतारने की रणनीति बना रही है।
राजस्थान विधानसभा की 200 सीट में से करीब एक तिहाई सीट कांग्रेस लगातार तीन बार हार रही है। यहीं कारण है कि प्रदेश में तीन में से दो बार उसकी सरकार अवश्य बनी, लेकिन जोड़ तोड़ से। ऐसे में कांग्रेस इन सभी सीटों का कई बार सर्वे करवा चुकी है। इन सीटों के जातीय समीकरणों को बेहद बारीकी से खंगाला जा रहा है। कांग्रेस का मानना है कि इनमें से आधी सीट भी यदि भाजपा से झटक ली जाए तो प्रदेश में उसकी फिर से सरकार बन सकती है, लेकिन पार्टी के लिए ऐसा कर पाना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इनमें से अधिकांश सीट पर कांग्रेस की गुटबाजी बहुत ज्यादा है। साथ ही कुछ सीटों पर पार्टी कभी मजबूत प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार पाई। वहीं कुछ सीटों पर उसकी चुनावी रणनीति बेहद कमजोर रही। इन सीटों पर लगातार हार के कारणों की तह में जाकर पता करने का प्रयास नहीं किया गया।
ये सीट बनी चुनौती
भोपालगढ़, सूरसागर, खींवसर, मेड़तासिटी, सोजत, बाली, पाली, सिवाना, भीनमाल, सिरोही, जैतारण, जालोर, मारवाड़ जंक्शन, पिंडवाड़ा, रेवदर, नागौर, श्रीगंगानगर, गंगापुरसिटी, अनूपगढ़, भादरा, बीकानेर पूर्व, पीलीबंगा,सांगानेर, मालवीय नगर, कपासन, विद्याधर नगर, डग, झालरापाटन, खानपुर, मनोहर थाना, उदयपुरवाटी, रामंगज मंडी, मालपुरा, रतनगढ़, खंडेला, शाहपुरा (जयपुर) , फुलेरा, किशनगढ़बास, बहरोड़, थानागाजी, अलवर शहर, भरतपुर, नदबई, धौलपुर, महवा, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, ब्यावर, नगर, उदयपुर शहर, कुशलगढ़, राजसंमद, आसींद, बस्सी, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा दक्षिण, लाडपुरा, छबड़ा, सागवाड़ा और घाटोल।

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