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श्रीराम कथा चरित्र व गुणों की गाथा है: सन्त कृपाराम

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– श्रीराम कथा श्रवण के लिए उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

तिंवरी। माली समाज राम रसोड़े में चल रही नो दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के तीसरे दिन कथा वाचक सन्त कृपाराम महाराज ने कहा कि सगुण व निर्गुण में कोई भेद नहीं है।जैसे पानी को फ्रिज में रखने पर वह बर्फ का रूप ले लेता है, ठीक उसी तरह वह निर्गुण परमात्मा है उसका कोई रूप नहीं है। सन्त ने कहा कि संसार में वैसे व्यक्ति निर्धनतम होते हुए भी धन्य है। जिनके हृदय में एकमात्र भगवान श्री राम की भक्ति निवास करती है। इन्होंने कहा कि भक्त भगवान के अतिरिक्त किसी को नहीं जानते है अतः भगवान भी अपने भक्तों के अतिरिक्त किसी को नहीं जानते हैं। भगवान भक्त के आश्रय होते हैं। भक्त और भगवान दोनों ही अनुपम भाव से भावित होकर एक दूसरे का चिंतन भी करते हैं। अगर ऐसा कहा जाए भगवान भक्त के अधीन है तो अतिशयोक्ति नही है क्योंकि ऐसा स्वयं भगवान ने ही कहा है।सन्त ने कहा कि रामकथा का आनंद तभी है, जब वक्ता और श्रोता दोनों सुर, लय, ताल मिलाकर कथा का रसपान करें।प्रेम प्रकट हो जाए तो परमात्मा खुद प्रकट हो जाएंगे। प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है ।सन्त ने कहा कि रामकथा का महत्व हमेशा से है और आगे भी रहेगा। यह भगवान की लीला, चरित्र व गुणों की गाथा है। इसके श्रवण और कथन के प्रति हमेशा एक नवीनता का भाव बना रहता है। भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के चरित्र में प्रदर्शित त्याग और तपस्या की बातों को निरंतर श्रवण करते रहने से सुनने वाले के अंदर भी ऐसे ही महान गुणों का समावेश हो जाता है। सन्त ने बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं से कथा के दौरान आह्वान किया कि वे बालिकाओं को उच्च शिक्षित करें।उन्हें आगे बढ़ने का मौका देवे।

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