33.3 C
Jodhpur

पतितों को पावन करने का माध्यम है श्रीराम कथा: संत कृपाराम

spot_img

Published:

तिंवरी। कस्बे में चल रही श्रीराम कथा के सप्तम दिवस में संत कृपाराम महाराज ने बताया कि पतितो को पावन करने का कार्य करती है श्री राम कथा | अगर समाज में जातिगत छुआ छूत की भावना रहेगी तो सनातन धर्म टूटता चला जायेगा, श्री राम ने राज महल को त्याग कर 14 साल के वनवास को क्यों स्वीकार किया वो चाहते तो पिता जी के वचन को नकार कर राज महल के सुख प्राप्त कर लेते, लेकिन श्री राम ने समाज में जो बढ़ता भेद भाव को मिटाने के लिए वनवास में निषाद राज को गले लगाकर, केवट के नाव में बैठ कर, शबरी के हाथ के झूठे बेर खा कर जातिगत भेद भाव को मिटाया | कथा में उपस्थित युवा पीढ़ी को संदेश दिया की कोई भी ऐसा कार्य न करे जिससे आपके मां बाप व समाज, देश का नाम नीचे हो ऐसे कार्य करें आपके साथ आपके देश का नाम रोशन हो, अगर देश को आगे बढ़ाना है तो देश की युवा पीढ़ी को पढ़ाई लिखाई पर ध्यान देना चाहिए युवा पीढ़ी को सुशिक्षित, संस्कारवान बनना मां बाप का कर्तव्य है…

आज की कथा में श्री राम ने विवाह कर अपनी भार्या सीता व अवधवासियों के संग अयोध्या पहुंचे जहां बड़े ही धूमधाम से विवाह उत्सव मनाया गया कुछ दिनों पश्चात मंथरा द्वारा केकई के मस्तिष्क में राजा दशरथ से 2 वर मांगने को मजबूर कर दिया ना चाहते हुए भी राजा दशरथ ने केकई को 2 वर दिया, भरत का राज्याभिषेक व श्री राम को वनवास श्री राम ने पिता की आज्ञा का पालन कर पतितो को पवन करने वसवास के प्रस्थान कर लिया, वन में श्री राम ने निषाद राज, आदिवासियों, केवट आदि के प्रेम को स्वीकार किया…

[bsa_pro_ad_space id=2]
spot_img
spot_img

सम्बंधित समाचार

Ad

spot_img

ताजा समाचार

spot_img