सांप पकड़ने के लिए इस नंबर पर कर सकते हैं कॉल 9314718008, 9783101001
जोधपुर। बारिश के मौसम में भीगी जमीन, उमस और सांप का दिखना। यह प्रकृति का ही तानाबाना है, इसलिए सांप दिखने पर डरने या उसे चोटिल करने की जगह उन्हें उनके सुरक्षित आवास तक पहुंचाने की जरूरत है।
सर्प व्यवहार विशेषज्ञ शरद पुरोहित बताते हैं कि जोधपुर में करीब 13 प्रजातियों के सांप मिलते हैं। इनमें से तीन प्रजाति के सर्पों कोबरा, वाइपर और करैत से हमें सचेत रहना चाहिए। अर्थ बोआ, सेंड बोआ और ग्लासी बेलीड रेसर आम तौर आसपास नजर आते हैं। भीतरी शहर में अर्थ बोआ, ग्लासी बेलीड रेसर ज्यादा मिलते हैं। वजह मुड से बने पुराने घर रहने बसने को पर्याप्त चूहे और यही इनका प्राकृत आवास। कोबरा व करैत आदि नए आवासीय क्षेत्रों में खाली प्लॉट्स में उगी झाड़ियों आदि में जो कचरा फेंका जाता हैं, उसमे चूहे घर बना लेते है इसी वजह से सर्पों को वहां सुरक्षित माहौल मिल जाता है। वैसे सर्पों के बाहर निकलने का समय साढ़े नौ के बाद रहता है जब घरों में हलचल कम हो जाती है। उस समय चूहे, टॉड सक्रिय हो जाते हैं और इनके शिकार पर ये सर्प आश्रित रहते है। घर में आसपास के क्षेत्र में साफ-सफाई रखी जाए तो सांपों के आने का खतरा कम हो जाता है।
शहरी क्षेत्रों में सांपों की बढ़ती तादाद
शहर की नहरों, तालाबों के आसपास मानव बस्तियां बेतरतीब ढंग से बस चुकी है और शहर का बढ़ता आकार, नई आवासीय योजनाएं भी इसका कारण है। जहां कभी खेत हुआ करते थे,जहां कभी वन क्षेत्र हुआ करते थे वहां अब मनुष्यों के आवास बन चुके हैं। इस प्रकार सर्पों के प्राकृत आवास भी कम हुए हैं। कई कॉलोनियों में कुछ मकान या प्लॉट्स खाली पड़े रह जाते हैं, ऐसे में सांपों के साथ रहना ही होगा। सांपों का इतिहास मनुष्य के साथ जुड़ा हुआ है, इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है बल्कि हमें जागरूक होने की जरूरत है। जब भी सर्प नजर आए उसे अपने घर की स्वच्छता और चूहों की उपस्थिति से जोड़ कर देखे अगर चूहे नहीं तो लगभग सर्प भी नहीं आएंगे। जोधपुर में चांदपोल, जय नारायण व्यास कॉलोनी, सूरसागर में अधिकतर रॉयल, कोबरा, करैत अधिक निकलते हैं। परकोटा में सेंड बोआ, कोबरा तो अशोक उद्यान, चौपासनी, खेमे का कुआं, सरदारपुरा, नेहरू पार्क, पावटा, मंडोर आदि में ग्लॉसी बेलिड, कोबरा, अर्थ बोआ अधिक निकलते हैं। जब भी इनसे सामना हो तो शांत रह कर इन पर नजर रखते हुए एक्सपर्ट रेस्क्यू टीम को ही बुलाना उचित रहता है अन्यथा बिना जानकारी वाले लोग अक्सर रेस्क्यू की बजाय सर्पों के सिर, गर्दन आदि चोटिल करते हुए उन्हें मरने हेतु छोड़ देते है। सर्प इंसानों के मित्र हैं शत्रु नहीं। वैसे अभी स्नेक बाइट के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, खेतों और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा केस दर्ज हुए हैं इसलिए सजगता के साथ नाॅलेज जरूरी है। मेरा अनुभव है कि कई बार कोबरा आपके घर में बिलकुल आपके साथ ही रहता है और आप जब देखते हैं तब ही आप जान सकते कि ये गजब कैसे संभव। यह अक्सर होता है कि सर्प चूहा खाने के बाद पचाने में बहुत लंबे समय विश्राम करता है, ऐसे में छुपने की उत्तम व्यवस्था मिल जाए तो अवश्य आपके साथ ही वह निवास कर सकता है। रात्रि भ्रमण बिना जूते, टॉर्च न करें। अभी मौसम इनकी पसंद का भी है।

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