राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से मंच पार्श्व कार्यशाला के दूसरे दिन लंदन से सहयोगात्मक थिएटर प्रोडक्शन और डिजाइन में स्नातक सात्विका ने सिखाये स्टेज मैनेजमेंट के गुर
जोधपुर। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से जवाहर कला केन्द्र जयपुर के कृष्णायन में चल रही राज्य मंत्री श्री रमेश बोराणा परिकल्पित मंच पार्श्व पर आधारित कार्यशाला के दूसरे दिन बुधवार को वरिष्ठ रंग निर्देशक एवं नाट्य चिंतक श्री देवेन्द्र राज अंकुर ने सुबह के सत्र में रंगमंच के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय रंगमंच में समय के साथ आए बदलावों के बारे में बताया। उन्होंने देश के अलग अलग भागों के रंगमंच में, कथानक, शैलीगत और डिजाइनिंग में आए परिवर्तनों आदि के बारे बताते हुए इस विषय से जुड़े तमाम बिन्दुओं पर आधारित एक फ़िल्म दिखाई और फिर विस्तार से उन परिवर्तनों के कारण और महत्त्व पर चर्चा की।
उनके उद्बोधन और फ़िल्म के जरिए प्रतिभागियों को रंगमंच के उस युग को देखने का मौका मिला जिसके बारे में सिर्फ सुना या पढ़ा ही था। इसके समानांतर ही ओम शिवपुरी, सुधा शिवपुरी और हेमा जी की परफॉर्मेंस फ़िल्म में दिखाई दी, जिससे राजस्थान के लोगों का भारतीय रंगमंच में अवदान और स्थान, दोनों का पता चलता है।
अकादमी अध्यक्ष श्रीमती बिनाका जेश ने बताया की अपराह्नकालीन सत्र में ‘स्टेज प्रबंधन’ विषय पर भारतीय रंगमंच में स्वतंत्र निर्माता, प्रोडक्शन और स्टेज मैनेजर सुश्री सात्विका कंठमनेनी ने सभी प्रतिभागियों के परिचय के बाद वीडियो क्लीपिंग एवं उद्बोधन के जरिए स्टेज मैनेजमेंट के विभिन्न आवश्यक तत्व एवं महत्व को बताया।
सुश्री सात्विका गिल्डहॉल स्कूल ऑफ म्यूजिक एंड ड्रामा, लंदन से सहयोगात्मक थिएटर प्रोडक्शन और डिजाइन में स्नातक किया हैं और भारत में डिज़्नी अलादीन की वरिष्ठ स्टेज मैनेजर रही हैं।
उन्होंने बताया की स्टेज मैनेजर के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए माहौल को हर क्षण रचनात्मक एवं ऊर्जावान बनाए रखे।
उन्होंने यह भी कहा कि इसी प्रकार उसे निदेशक, अभिनेता और प्रोड्यूसर की आवश्यकताओं की पूर्ति और उसके लिए आवश्यक संसाधनों की समझ होना भी जरूरी है ।
इन दोनों सत्रों की विशेषता यह रही कि सत्र इंटरेक्टिव थे, जिससे प्रतिभागियों को निरंतर पारस्परिक संवाद सहभागिता महसूस हुई और इससे सभी को कुछ न कुछ नया सीखने के लिए एक अनौपचारिक माहौल मिला।