नारद लूणी। हिंदु रीति रिवाजों में बहन भाई के अटूट स्नेह एवं भाई द्वारा बहन की रक्षा को लेकर अहम माना जाने वाने वाले समंद हिलोरने के पर्व को भी कस्बे सहित क्षेत्र में पारंपरिक रूप से हर्षोंल्लास के साथ मनाया गया। महिला द्वारा समंद हिलारने की रस्म निभाई जाती हैं। इसके लिए समंद हिलोरने वाली महिला द्वारा तालाब में माट्टी की खुदाई कर उसे पाळ पर डाला जाता हैं तथा समंद हिलोरने के पर्व पर आकर्षक रूप से चित्रकारी किया गया घड़ा लेकर महिला तालाब पर जाती हैं, जिसे भाई अपने साथ ले जाता हैं। तालाब पर ही महिला का भाई उसके पीहर से महिला के लिए नई पौशाकें एवं अन्य सामान लाकर उन्हें देता तथा बहन-भाई द्वारा तालाब के पानी को परस्पर पिलाया जाता हैं। इससे पूर्व महिला द्वारा पूरे तालाब की चार परिक्रमाएं की जाती हैं। इस मौके पर तालाब पर ही बड़ी संख्या में जहां पुरूष पहुंचकर सभा का आयोजन करते हैं। वहीं महिलाएं भी सज-धजकर पहुंचती हैं एवं मंगल गीत गाती हैं। तालाब पर एक प्रका से यह वार्षिक मेले का रूप गया हैं जहां पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।