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#CBI : बैंक के IMPS चैनल संभालने वाली कंपनी के इंजीनियर्स ने की थी गड़बड़ी, चैकबुक रोकने के कोड से 35 राज्यों में निकाल लिए 820 करोड़

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  • सबसे ज्यादा राजस्थान में 766 करोड़ की हुई थी हेराफेरी
  • कर्नाटक के मंगलूरू स्थित कंपनी के दो इंजीनियर बनाए गए आराेपी

जोधपुर। पिछले साल दिवाली पर यूको बैंक के आईएमपीएस सिस्टम में तकनीकी खराबी पैदा कर बैंक को 820 करोड़ की चपत लगाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बैंक के मोबाइल बैंकिग एप व आईएमपीएस चैनल को संभालने वाली कर्नाटक के मंगलूरू स्थित कंपनी के दो इंजीनियर्स ने ही सिस्टम में छेड़खानी की थी। चैकबुक रोकने के कोड से पैसा ट्रांसफर करने की अनुमति का कोड बनाने से देश के 35 राज्यों में कई हजार लोग रातों-रात लखपति बन गए थे। बैंक से सबसे ज्यादा 766 करोड़ रुपए राजस्थान के 28 हजार 241 खातों में ट्रांसफर हुए थे। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सबसे पहले इन्हीं लोगों व इनसे जुड़े इलाकों में छापेमारी की थी। अब राजस्थान व अन्य प्रदेशों में कार्रवाई की जा रही है।

दरअसल, एलकोड टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड यूको बैंक के मोबाइल बैंकिंग एप व आईएमपीएस चैनल को संचालित व देखरेख करती है। इस कंपनी के दो सपोर्ट इंजीनियर अविशेक श्रीवास्तव और सुप्रिय मेलिक काम करते हैं। यूको बैंक को संदेह है कि 10 से 13 नवंबर के दौरान जो फर्जी ट्रांजेक्शन हुए उससे जुड़ी लॉग रिपोर्ट से पता चला कि इन दोनों, इनमें से किसी एक और इनके साथ गिरोह में शामिल कुछ लोगों ने 8 नवंबर की शाम 7 बजे आईएमपीएस सर्वर के कोड में छेड़खानी करते हुए पोर्ट नंबर को 49100 से 46110 में बदल दिया। इसकी जानकारी अलग-अलग माध्यम से देश के 41 हजार 296 खाताधारकों को मिली, जिन्होंने 2 हजार 874 ब्रांचों के माध्यम से 8.53 लाख ट्रांजेक्शन कर 820.75 करोड़ रुपए गलत ढंग से निकाले।

पैसा क्रेडिट किया, डेबिट के बदले रिजेक्ट का कोड भेजा

पता चला है कि जब आईएमपीएस चैनल के कोड में बदलाव किया गया तो लोगों की इसकी भनक लग गई कि उनके आईडीएफसी बैंक खाते से पैसा कट नहीं रहा और यूको बैंक के खाते में पैसा आने की एंट्री हो रही है। यह बात आग की तरह फैली और लोगों ने कमिशन पर अकाउंट लेकर ट्रांजेक्शन किए, फिर एटीएम से पैसे निकाल लिए गए।

000 कोड से होते डेबिट, कोड लगा दिया 119

आईडीएफसी व अन्य बैंकों से शुरू की गई आईएमपीएस आंतरिक लेन-देन एनपीसीआई के माध्यम से यूको बैंक के आईएमपीएस सर्वर तक पहुंची। आईएमपीएस एप सर्वर ने आईएसओ 8583 मानक संरचना के माध्यम से आंतरिक लेन-देन को कनेक्ट 24 को भेजा, जो सीबीएस सर्वर और आईएमपीएस सर्वर के बीच की कड़ी है। कनेक्ट 24 ने पोर्ट 46110 और चैनल आईडी एमबीएस पर इन लेन-देन के लिए अनुरोध प्राप्त किया। हालांकि, कनेक्ट 24 ने एमबीएस चैनल की पुष्टि नहीं की और पोर्ट 46110 के लिए अनुरोध को तार्किक रूप से सही मान लिया। इस मामले में कनेक्ट 24 ने सफल ट्रांजेक्शन कोड ‘000’ की जगह आईएमपीएस एप सर्वर को कोड 119 में रिप्लाई किया, जो व्यवसाय को अस्वीकृत करने के लिए काम में लिया जाता है। जिस पोर्ट पर ट्रांजेक्शन रिक्वेस्ट ली गई, वह यूपीआई व अन्य एडीसी लेनदेन के लिए होती है, आईएमपीएस के लिए नहीं। पोर्ट 46110 चेक बुक रोकने की सेवाओं के लिए था, जहां पैरामीटर को कैरेक्टर “एफ” में सेट किया गया था। फील्ड 125 के लिए “119” के साथ उत्तर को स्विच के लिए वापस भेजा गया। इस स्थिति में, सिस्टम ने कुछ बैंकों के लिए स्विच एंड से आंतरिक आईएमपीएस लेन-देन के लिए फिल्ड 125 के अंतिम अक्षर को “एफ” के रूप में प्राप्त किया, जिससे गलत लेन-देन हुई।

सात बैंक में सबसे ज्यादा एंट्री आईडीएफसी बैंक की

यूको बैंक से निकाले गए 820 करोड़ में से 817 करोड़ अकेले आईडीएफसी बैंक से हुए ट्रांजेक्शन हैं। इस बैंक से 14 हजार 181 खाताधारकों ने 8.50 लाख ट्रांजेक्शन किए। वहीं, जाना स्माॅल फाइनेंस बैंक, सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक, फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक, कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक व ईएसएएफ स्टॉल फाइनेंस बैंक से शेष राशि के ट्रांजेक्शन हुए।

14 राज्यों में निकले 1 करोड़ से ज्यादा की राशि

इस घोटाले में सबसे ज्यादा 766 करोड़ रुपए राजस्थान में निकले तो इसके बाद महाराष्ट्र में 11 करोड़ की हेराफेरी हुई। एक करोड़ से ज्यादा की राशि निकालने वाले राज्यों में राजस्थान व महाराष्ट्र के अलावा उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, बिहार, कर्नाटक, गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना व तमिलनाडू शामिल है।

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