– घोड़ों का चौक इलाके में लगे सर्वाधिक बूस्टर्स, कई जगहों से किए जब्त
– बिना विभागीय अनुमति के नहीं लगाए जा सकते हैं मोबाइल सिग्नल बूस्टर, अन्य को भी दी चेतावनी
नारद जोधपुर। शहर के भीतरी इलाके घोड़ों का चौक में गुरुवार को दोपहर बाद ज्वैलर्स कारोबारियों के साथ पूरे क्षेत्र में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन के वायरलैस मॉनिटरिंग स्टेशन अजमेर से एक टीम जोधपुर पहुंची। डीओटी अजमेर से विभागाध्यक्ष उमराव मीणा की अगुवाई में घोड़ों का चौक क्षेत्र में पहुंची टीम ने स्थानीय एयरटेल की टेक्निकल टीम के साथ कार्रवाई करते हुए अनगिनत स्थानों, इमारतों के भीतर व छतों पर ज्वैलर्स द्वारा अवैध रूप से लगाए गए बूस्टर्स हटवाए। इसके साथ ही मीणा ने यहां की ज्वैलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों से भी चर्चा करते हुए उन्हें तमाम सदस्यों को समझाइश करने को कहा, ताकि अवैध रूप से लगाए गए बूस्टर्स जल्द से जल्द हटवा लें। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही के लिए तैयार रहने की चेतावनी भी दी गई। एक अनुमान के मुताबिक अकेले घोड़ों का चौक इलाके में ही तकरीबन 900 से ज्यादा बूस्टर्स अवैध रूप से लगे हुए हैं।


पूरे नेटवर्क सिस्टम को ही बिगाड़ रहे अवैध बूस्टर्स
डीओटी अधिकारी मीणा के अनुसार वायरलैस मॉनिटरिंग स्टेशन को विभिन्न माध्यम से शिकायतें मिल रही थीं कि जोधपुर शहर के घोड़ों का चौक इलाके में बड़ी संख्या में लोगों ने अवैध मोबाइल सिग्नल बूस्टर लगा रखे हैं। इनकी वजह से आम मोबाइल उपभोक्ताओं को नेटवर्क की समस्या से जूझना पड़ रहा है। लगातार शिकायतें सामने आने पर डीओटी की टीम ने इसकी पड़ताल करने की और गुरुवार को इस इलाके में कार्रवाई के लिए अभियान चलाया गया। यहां से बड़ी मात्रा में सिग्नल बूस्टर्स जब्त करने के साथ ही लोगों को आगाह भी किया गया है। मीणा के अनुसार जो लोग पंजीकृत नहीं हैं उन्हें अवैध के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि वे ऐसे स्पेक्ट्रम का उपयोग करते हैं, जिसके लिए उन्होंने भुगतान नहीं किया है। वह हवाई तरंगों (एयरवेव्स) के साथ हस्तक्षेप करता है। अवैध बूस्टर अपने आस-पास के अन्य ग्राहकों के लिए मोबाइल सिग्नल को बाधित करते हैं। मोबाइल हैंडसेट भी अधिक शक्ति संचारित करते हैं, जिससे बैटरी की खपत भी ज्यादा होती है और साइट के साथ कनेक्टिविटी को प्रबंधित करने के लिए भी अधिक बेटरी का उपयोग तथा कमजोर नेटवर्क की ओर ले जाता है। इस तरह, ये अवैध बूस्टर्स सिग्नल की समस्या को दूर करने की बजाय और बढ़ा देते हैं।




बिना लाइसेंस के बूस्टर्स बेचना या लगाना भी गैर-कानूनी
जानकारों के अनुसार मोबाइल सिग्नल बूस्टर का उपयोग बिना लाइसेंस के नहीं किया जा सकता है। ऐसे वायरलेस उपकरण बेचने के लिए भी विक्रेता के पास भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 के प्रावधानों के तहत डीलर पोजिशन लाइसेंस (DPL) होना आवश्यक है। इतना ही नहीं, यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत जारी लाइसेंस के साथ ऐसा उपकरण खरीदना चाहता है, तो खरीदार को भी डीओटी से ‘फ़्रीक्वेंसी ऑथराइज़ेशन / एग्रीमेंट प्रिंसिपल लेटर’ प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।