- भोपालगढ़ में निकली शोभायात्रा
भोपालगढ़। भादवा की ढाणी में रामस्नेही संप्रदाय रामधाम खेड़ापा के महंत पुरुषोत्तमदास महाराज ने चल रही शिव महापुराण कथा के छठे दिन गुरुवार को प्रवचन देते हुए कहा कि शिव महापुराण कथा श्रवण व शिव भक्ति के लिए पहले अहंकार दूर करना होगा। क्योकि जब तक अहंकार होता है तब तक भोलनाथ प्रसन्न नही होते है। जिस प्रकार आदि देव महादेव को भोलेनाथ कहा जाता है । उनको भक्त भी भोले पसंद है। जब तक अहंकार दूर नही होगा तब तक शिव की भक्ति प्राप्त होना कठिन है। धर्मसभा में कथावाचक गोविंद गोपाल शास्त्री ने शिव कथा सुनाते हुए कहा कि शिव और पार्वती के दो पुत्र हुए एक का नाम कार्तिकेय और दूसरे का नाम गणेश है। कार्तिकेय पुरुषार्थ का प्रतीक माना गया है। पुराणों में श्री गणेश की अनेक कथाएं प्राप्त होती हैं। एक कल्प में साक्षात श्रीकृष्ण उनके पुत्र बनते हैं दूसरे कल्प में पार्वती के उद्घटन से उनकी उत्पत्ति होती है। एक कल्प में शनि की दृष्टि से सिर कटता है और दूसरे में स्वयं शिवजी सिर काटते हैं। माता के कोप से बचने के लिए हाथी का सिर जोड़ा जाता है। हाथी का सिर बड़ा होता है लेकिन आंखें छोटी होती हैं। यह सूक्ष्म दृष्टि का प्रतीक है। हमारी दृष्टि सूक्ष्म होनी चाहिए। कान सूप के जैसे मानो फालतू बात गणेश नहीं सुनते। एक दांत अर्थात जो बात कह दिया उसमें अटल रहते हैं और लम्बी नाक होना प्रतिष्ठा का प्रतीक है।कथावाचक शास्त्री ने कहा कि जहां पर सूक्ष्म दृष्टि होती है। वहां विघ्न नही होता है और जहां विघ्न बाधा न हो तो वहीं ऋद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ का सदैव आगमन होता है।– भोपालगढ़ में निकली शोभायात्रा– शिव महापुराण कथा कार्यक्रम के तहत गुरुवार को पूरे शहर के अंतर्गत गली मोहल्ले में शोभायात्रा विभिन्न झांकियां के साथ निकाली गई। इस दौरान रामस्नेही संप्रदाय रामधाम खेड़ापा के महंत पुरुषोत्तमदास महाराज,भादवा की ढाणी महंत भजनदास महाराज, कथावाचक गोविंद गोपाल शास्त्री, युवा संत सीताराम महाराज कुड़ी सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।