जोधपुर. पर्यावरण व वन्यजीवों की रक्षा करने में सदैव अग्रणी रहने वाले विश्नोई(Vishnoi) समाज के लोग इन दिनों आंदोलन की राह पर है। समाज की मांग है कि केन्द्र सरकार में उन्हें भी राजस्थान के समान अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) का दर्जा दिया जाए। केन्द्र सरकार ने प्रदेश के जाट व अन्य समाज के लोगों को आरक्षण देने के समय विश्नोई समाज को अलग संप्रदाय का बता ओबीसी आरक्षण(Reservation) से वंचित रख दिया गया था। आज विश्नोई समाज एकजुट होकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्वीटर पर आरक्षण की मांग कर रहा है और उनकी यह मांग टॉप थ्री में ट्रेंड कर रही है।
वर्ष 1997 में प्रदेश में जाटों ने आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन चलाया। इस आंदोलन में विश्नोई समाज ने भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। इस आंदोलन के दम पर जाट व कुछ अन्य जातियों के साथ ही विश्नोई समाज को प्रदेश में ओबीसी का दर्जा मिल गया। लेकिन केन्द्र सरकार में विश्नोई समाज को ओबीसी का दर्जा मिल पाता उससे पहले किसी ने आपत्ति दर्ज करवा दी कि विश्नोई कोई जाति नहीं बल्कि अलग संप्रदाय है। ऐसे में उन्हें ओबीसी आरक्षण नहीं मिलना चाहिये। इस आपत्ति के कारण 25 फरवरी 2001 को केन्द्र सरकार ने आरक्षण देने से मना कर दिया। खेती किसानी से जुड़े विश्नोई समाज की केन्द्र सरकार के समक्ष दमदार पैरवी नहीं हो पाई और वे आरक्षण से वंचित रह गए। तय नियम के कारण दस साल बाद वर्ष 2012 में समाज की ओर से केन्द्र सरकार से एक बार फिर ओबीसी आरक्षण की मांग की गई। समाज के कुछ नेताओं ने केन्द्र सरकार के समक्ष पैरवी भी की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अब राज्य सरकार ने विश्नोई समाज को केन्द्र में ओबीसी का दर्जा देने का एक प्रस्ताव 26 मार्च 2023 को केन्द्र सरकार को भेज दिया। इस प्रस्ताव को मूर्त रूप प्रदान कराने के लिए समाज आंदोलन की राह पर है।
अधिकार से वंचित रखना न्यायसंगत नहीं
विश्नोई समाज के कद्दावर नेता रहे स्व. रामसिंह विश्नोई के पौत्र और जोधपुर के उपजिला प्रमुख विक्रमसिंह का कहना है कि अलग संप्रदाय का बता जबरन हमारे समाज को उनके वाजिब अधिकार से वंचित रखना न्याय संगत नहीं है। समाज के लोग बीस साल से लगातार विभिन्न स्तर पर इस मांग को उठा रहे है। जाटों के समान ही हमारे समाज के लोग भी खेती से जुड़े है। दोनों का आर्थिक स्तर भी कमोबेश एक समान ही है। जब राज्य सरकार हमें आरक्षण प्रदान कर चुकी है तो फिर केन्द्र सरकार को भी हमारी मांग को स्वीकार करना चाहिये।
ऐसे चला रहे है आंदोलन
इस आंदोलन के सूत्रधार विक्रमसिंह का कहना है कि फिलहाल हम लोग विश्नोई बाहुल्य क्षेत्रों में सभाएं(Meetings) कर समाज के लोगों को एकजुट करने में जुटे है। अगले चरण में जिला व तहसील स्तर पर समाज के लोगों की कमेटियों का गठन करेंगे। इसके बाद जोधपुर में बड़ी संभा कर आंदोलन को तेज करने की रणनीति पर काम कर रहे है।
35 विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक भूमिका
प्रदेश की राजनीति में विश्नोई समाज हमेशा से सक्रिय रहा है। इस समय समाज के पांच विधायक(MLA) है। इनमें से तीन कांग्रेस(congress) से व दो भाजपा(BJP) से है। वहीं प्रदेश के करीब 35 विधानसभा क्षेत्र ऐसे है जहां विश्नोई समाज की एक तरफा वोटिंग किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। विश्नोई समाज के लोगों को किसी एक पक्ष में बंपर वोटिंग के लिए भी जाना जाता है।
भाजपा के समक्ष चुनौती
राजस्थान में इस वर्ष के अंत तक विधानसभा चुनाव(Election) होने है। ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल विश्नोई समाज की नाराजगी झेलने की स्थिति में नहीं है। केन्द्र में भाजपा की सरकार है। ऐसे में प्रदेश भाजपा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती विश्नोई समाज के लोगों को अपने पक्ष में साधने की रहेगी। यदि समय रहते केन्द्र सरकार ने कोई फैसला नहीं किया तो इसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ सकता है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि केन्द्र सरकार इस मांग को किस तरीके से निपटाती है।

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