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स्वच्छ पानी का बहाव कम हुआ तो मरूगंगा की कोख पर फिर से बहने लगा कालिखमय बांडी का बहाव

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– किसानों को काले पानी की सजा, जिम्मेदार चुनावों में भुनाते हैं मुद्दा।

– पाली प्रशासन की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे हैं मरूगंगा पर निर्भर धरतीपुत्र।

–  कई दिनों तक बारिश के पानी के बहाव के बाद अब फिर से लूणी नदी में बहने लगा काला पानी।

पुखराज माली धुंधाड़ा।

नारद लूणी। सदियों पुरानी कहावत आज भी चरितार्थ हो रही हैं कि पाली वाळी पंचायती ना तो कभी पूरी होती हैं न ही किसी के पल्ले पड़ती हैं, आज भी यही हालात हैं, अब पाली प्रशासन की खोटी पंचायती का नतीजा आज बांडी व लूणी नदी के किनारे बसे जोधपुर, पाली व बाड़मेर जिले के हजारों किसान परिवार भुगत रहे हैं। इसबार भी पाली प्रशासन ने पाली जिले में बांडी नदी पर बने नेहरड़ा बांध के गेट पिछले दिनों बारिश के बहाव के समय ही खोल दिए। जिस कारण इस बांध में पिछले कई माह से एकत्रित पाली की फैक्ट्रियों से निकला प्रदूषित जल बहकर धुंधाड़ा में आकर लूणी नदी में पहुंच गया। जो बारिश के पानी के बहाव के साथ ही बहता रहा। लेकिन जैसे ही बारिश के पानी का बहाव कम हुआ तो लगभग स्वच्छ हो चुकी मरूगंगा को अब यह फिर से नदी को दूषित कर रहा हैं। 

गौरतलब हैं कि पिछले दिनों आए बिपरजॉय तूफान के समय हुई अच्छी बारिश के साथ ही बांडी एवं सहायक नदियों में पानी का बहाव हुआ। इसी दौरान मौका पाकर पाली जिले के ही धुंधाड़ा के निकटवर्ती बांडी नदी पर बने नेहरड़ा बांध में कई माह से एकत्रित किए गए पाली की फैक्ट्रियों से निकले केमिकलयुक्त दुषित को भी पाली प्रशासन ने बारिश की पानी की आड़ में छोड़ दिया। हालांकि बारिश के स्वच्छ पानी के तेज बहाव के कारण उस समय तो लगा कि यह दूषित जल बहकर आगे चला गया। लेकिन केमिकलयुक्त पानी में भारीपन होने के कारण यह पानी धीमी गति से स्चवछ पानी के निचे बहता रहा। इन दिनों जैसे ही स्वच्छ बारिश के पानी का बहाव कम हुआ तो यह दूषित जल फिर से फिर से उभकर मरूगंगा की कोख के उपर बहने लगा। साथ ही इस पानी ने फिर से कृषि कुंओं को भी जहरमग्न कर दिया। इन दिनों तो हालात यह हैं कि दूषित एवं बदबूदार जल के कारण लोगों का निकट से गुजरना भी मुश्किल हो रहा हैं। और यह पानी अब मवेशियों के भी पीने लायक नहीं रहा हैं। 

आज भी नासूर हैं नेहरड़ा:

पाली की फैक्ट्रियों से निकलकर आने वाले केमिकलयुक्त दूषित पानी के लूणी नदी में आने पर किसानों के विरोध के चलते पाली प्रशासन द्वारा इस पानी को लगातार आठ माह तक नेहरड़ा बांध में एकत्रित कर लिया जाता हैं। जिससे कि लूणी नदी पर निर्भर किसान आंदोलन न कर सके। और हर साल की तरह इसबार भी पाली प्रशासन ने आठ माह से एकत्रित जहरीले पानी को लूणी-जोधपुर प्रशासन को सूचना दिए बिना ही बांडी नदी में छोड़ दिया जो महज पंद्रह किमी बहाव के बाद जोधपुर जिले के धुंधाड़ा कस्बे में आकर लूणी नदी में मिल गया तथा किसानों के अरमानों को चकनाचूर कर दिया।

इसलिए अचानक छोड़ते हैं बांध से दूषित जल:

किसानों के विरोध के कारण पाली प्रशासन द्वारा लगातार आठ माह तक फैक्ट्रियों से आने वाले इस दूषित जल को नेहरड़ा बांध में एकत्रित कर दिया जाता हैं ताकि किसान वर्ग में असंतोष न पनप सके साथ ही जैसे ही बारिश होने लगती हैं तो नेहरड़ा बांध को बारिश के स्वच्छ जल से भरने की उम्मीद को लेकर बारिश होते ही खाली करने के लिए इसमें एकत्रित दूषित जल को छोड़ दिया जाता हैं। जो बारिश के पानी के बहाव में मिलकर आगे जा सके।

सैकड़ों कृषि कुंए जलमग्न, कृषि उपकरणों की हुई जलसमाधि:

अचानक ही लूणी नदी में बांडी से दूषित जल आने के कारण लूणी एवं बांडी नदी में खोदे गए किसानों के कृषि कुंए इस जहरीले पानी से जलमग्न हो गए हैं। बिना पूर्व सूचना के पानी के आने से कई किसान अपने कुंओं पर लगे कृषि उपकरण भी नहीं हटा सके, इस कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान भी हो जाता हैं। 

लाकड़थुंब मार्ग को नुकसान की आशंका:

लूणी एवं बांडी नदी के बहाव क्षेत्र के बिच में से गुजरने वाले धुंधाड़ा ग्राम पंचायत के राजस्व गांव लाकड़थुंब मार्ग को भी इस पानी के बहाव से नुकसान की आशंका हो गई हैं। कई स्थानों से नदी के बहाव के कारण सड़क के पास में कटाव भी हो रहा हैं। जिससे ग्रामीणों में दुर्घटना की आशंका बनी रहती हैं।

किसानों को काले पानी की सजा, जिम्मेदार चुनावों में भुनाते हैं मुद्दा:

पिछले डेढ़ दसक से किसान वर्ग इस काले पानी की सजा से मुक्ति के लिए कई आंदोलन कर चुके हैं। कई लोगों ने आंदोलन का नेतृत्व भी किया तथा खुब चंदा भी बटोरा। यह नेतृत्वकर्ता या तो उद्यौगपतियों या फिर राजनीति के दबाव के चलते पाला बदल गए। इस कारण किसानों का भरोसा ही ऐसे लोगों से उठ गया हैं। वहीं प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा एवं कांग्रेस के जोधपुर एवं पाली के नेता चुनावों के समय इस मुद्दें को खुब भुनाते रहे हैं। लेकिन आज तक चुनावों के बाद न तो किसानों की सुध ली और न ही कभी कोई प्रतिक्रिया जारी की।

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